‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ कथाकार भगवानदास मोरवाल को
अनिल विभाकर
27 सितम्बर 2024
Bengaluru : देश की साफ्टवेयर राजधानी बेंगलूरु के हिंदी रचनाकारों की प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था ‘शब्द’ ने वर्ष 2024 के लिए ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ (Agyey shabd Srjan Samman) तथा ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ (Dakshin Bharat Shabd Hindi sevi Samman) के विजेताओं की शुक्रवार को घोषणा की. एक लाख रुपये का ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ हिंदी के मूर्धन्य कथाकार भगवानदास मोरवाल (Bhagwandas Morwal) को उनके उपन्यास ‘खानजादा’ (Khanzada) के लिए प्रदान किया जायेगा. इक्कीस हजार रुपये का ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ कर्मठ हिंदी सेवी एवं शिक्षाविद डा. घनश्याम एस (Dr. Ghanshyam S) को दक्षिण भारत में हिंदी शिक्षण के संवर्द्धन तथा महिला शिक्षा के प्रसार में उल्लेखनीय अवदान के लिए दिया जायेगा. यह घोषणा ‘शब्द’ के अध्यक्ष डा श्रीनारायण समीर (Dr. Srinarayan Sameer) ने की.उन्होंने बताया कि दोनों पुरस्कार विजेताओं को 22 दिसंबर 2024 को बेंगलूरु में आयोजित एक सारस्वत समारोह में पुरस्कार राशि के साथ पारंपरिक मैसूर पेटा, स्मृति चिह्न, श्रीफल और अंगवस्त्रम् भेंट कर सम्मानित किया जायेगा.
पारदर्शी मूल्यांकन
डा. श्रीनारायण समीर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इन पुरस्कारों का निर्णय हिंदी भाषा और साहित्य के सर्जक विद्वानों की पांच सदस्यीय मूल्यांकन समिति की संस्तुति के आधार पर निर्णायक मंडल ने सर्वसम्मति से किया. निर्णय में पुरस्कार विजेताओं (award winners) की कृतियों के पारदर्शी मूल्यांकन के साथ-साथ उनके अब तक के सर्जनात्मक अवदान को भी आधार बनाया गया. निर्णायक मंडल ने ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ के लिए अपनी संस्तुति में कहा है कि ‘भगवानदास मोरवाल समकालीन हिंदी कथा साहित्य में सामाजिक यथार्थ एवं विडंबना तथा दलित अस्मिता के सशक्त कथाकार हैं. उनका ‘खानजादा’ उपन्यास मुगल आक्रान्ताओं से लोहा लेते हिन्दुस्तानी शासकों की संघर्षगाथा और मेवातियों की शौर्यगाथा के अनछुए पहलुओं के रूपायन के द्वारा हिंदी साहित्य के कथा- परिसर को समृद्ध करता है.
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महिला सशक्तीकरण का अनूठा कार्य
‘ऐसे ही ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ की संस्तुति में निर्णायक मंडल ने कहा है कि डा. घनश्याम एस ने तेलंगाना (Telangana) क्षेत्र में शिक्षा के प्रसार तथा गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ महिला सशक्तीकरण का अनूठा कार्य किया है. उन्होंने अपने आचरण और व्यवहार से तेलुगु-हिंदी मैत्री-भाव का संवर्द्धन करते हुए राष्ट्र की भाव धारा को सशक्त करने का अन्यतम कार्य किया है. ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ बेंगलूरु के प्रसिद्ध समाजसेवी और अज्ञेय साहित्य के मर्मज्ञ बाबूलाल गुप्ता (Babulal Gupta) के फाउंडेशन के सौजन्य से दिया जाता है.
मूल्यांकन समिति की सिफारिश
इसी तरह ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ बेंगलूरु और चेन्नई से प्रकाशित प्रमुख हिंदी समाचार पत्र समूह ‘दक्षिण भारत राष्ट्रमत’ (Dakshin Bharat Rashtramat) के सौजन्य से प्रदान किया जाता है. प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार उक्त पुरस्कारों के लिए कुल 30 प्रविष्टियां प्राप्त हुईं. इनका मूल्यांकन प्रख्यात संपादक ओम थानवी (Om Thanvi) की सदारत में कथालोचक डा. अरविन्द कुमार, शिक्षाविद डा. भंवर सिंह शक्तावत एवं विदुषी रमिता सिंह की मूल्यांकन समिति ने किया. मूल्यांकन समिति की सिफारिश पर समग्रता में विचार करते हुए बाबूलाल गुप्ता, श्रीकांत पाराशर, नलिनी पोपट और डा. उषारानी राव के निर्णायक मंडल ने सर्वसम्मति से पुरस्कार विजेताओं के नामों का चयन किया. डा. श्रीनारायण समीर ‘शब्द’ पुरस्कारों की मूल्यांकन समिति और निर्णायक मंडल, दोनों के संयोजक हैं.
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