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आरसीपी सिंह बन गये भाजपा के मोहरा!

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राजनीतिक विश्लेषक
12 अगस्त, 2021

पटना. क्या केंद्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह भाजपा के मोहरा बन गये हैं? यह सवाल जद(यू) के वफादार कार्यकर्ता एक-दूसरे से पूछ रहे हैं. ज्यादा का जवाब हां में होता है, इस राय के साथ कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस क्षण चाहेंगे, आरसीपी सिंह रास्ते पर आ जायेंगे. पार्टी के कार्यकर्ता उसी क्षण का इंतजार कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि वह क्षण जल्द आ जायेगा. 15 अगस्त से पहले या दो चार दिन बाद. फिलहाल, पार्टी के कार्यकर्ताओं में आरसीपी सिंह की बिहार यात्रा को लेकर भारी उत्तेजना है. दुविधा भी. दुविधा यह कि अगर स्वागत में मुस्तैदी से शामिल नहीं हुए तो आरसीपी सिंह नाराज हो जायेंगे. शामिल हुए तो यह नये राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह को नागवार गुजरेगा.

कैसे बने भाजपा के मोहरा
जद(यू) के आरसीपी सिंह विरोधी कार्यकर्ता उदाहरण के साथ बता देंगे कि वह कैसे भाजपा के मोहरा बने. शुरुआत नोटबंदी के समय हुई. शुरू में नीतीश कुमार नोटबंदी का विरोध कर रहे थे. भाजपा ने राज्यसभा के दो जद(यू) सदस्यों को मोहरा बनाया. एक आरसीपी सिंह. दूसरे हरिवंश. इन दोनों ने नीतीश कुमार को नोटबंदी के समर्थन के लिए राजी किया. हरिवंश को तुरंत ईनाम मिला. राज्यसभा के उप सभापति बना दिये गये. उससे पहले जद(यू) की भाजपा से दोस्ती भी हो गयी. आरसीपी सिंह को भी 2019 के लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद ईनाम देने की योजना बनी थी. नीतीश कुमार के इंकार के चलते वह उस समय मंत्री नहीं बन पाये. उस समय की कसर निकल गयी है. आरसीपी सिंह मंत्री बन गये हैं. कहा जा रहा है कि आरसीपी सिंह ने नीतीश कुमार की सलाह की अनदेखी की.

और भी हैं मामले
आरसीपी सिंह की जद(यू) की तुलना में भाजपा से नजदीकी के कई उदाहरण हैं. आरसीपी सिंह मंत्री बनने के बाद जद(यू) के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गये थे. वह मेडिकल और इंजीनियरिंग के दाखिले में आरक्षण का मामला था. लेकिन, उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे जद(यू) सांसदों के उस पत्र पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया, जिसमें जातीय जनगणना की मांग की गयी है. यह मांग जद(यू) की है. भाजपा विरोध कर रही है. माना गया कि भाजपा की नाराजगी के डर से ही आरसीपी सिंह ने उस पत्र पर दस्तखत नहीं किया.

रामराज के पक्षधर हैं
बीते रामनवमी के दिन आरसीपी सिंह ने राज्य के संदर्भ में रामराज की परिकल्पना को आदर्श बताया था. यह भी राज्य संबंधी जद(यू) की परिकल्पना के विपरीत है. जद(यू) के राज्य की अवधारणा में समाजवाद है. एक और महत्वपूर्ण तथ्य का प्रचार किया जा रहा है कि आरसीपी सिंह ने राम मंदिर के निर्माण के लिए एक लाख 11 हजार रुपये का चंदा दिया. कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके इस दान पर भी नाराजगी जाहिर की थी. बहरहाल, जद(यू) कार्यकर्ताओं को भरोसा है कि नीतीश कुमार सब कुछ ठीक कर लेंगे. क्योंकि आरसीपी सिंह की राजनीतिक उम्र महज 11 साल है. राजनीति में इसे बाल काल ही माना जाता है.

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