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ठाकुरगंज का विद्युत उपकेन्द्र : ऊर्जा विभाग के एक ‘बड़े हाकिम’ ने बनाया दबाव!

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शिवकुमार राय
24 अक्तूबर, 2021

KISHANGAN. उस वक्त हिमांशु शर्मा (Himanshu Sharma) जिलाधिकारी (District Magistrate) थे. चार अधिकारियों की समिति के जांच प्रतिवेदन को उन्होंने बीएसपीटीसीएल को भेज दिया. इसी बीच उनका तबादला हो गया. उनके बाद डा आदित्य प्रकाश आये. बताया जाता है कि उन्होंने चार चयनित प्रस्तावों में वर्णित भूखंडों का दोबारा स्थल निरीक्षण कराया. यह काम ठाकुरगंज (Thakurganj) के तत्कालीन अंचलाधिकारी उदय कृष्ण यादव (Udai Krishna Yadav) को सौंपा गया.

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार गोथरा-चुरली मौजे की चिन्ह्ति भूमि पर आपत्तियों के अम्बार के मद्देनजर BSPTCL के प्रबंध निदेशक ने चिन्ह्ति भूमि की बजाय दूसरी कोई आपत्तिरहित जमीन तलाशने को निर्देशित किया था.

नौशाद आलम को आया गुस्सा
कथित रूप से अंचलाधिकारी उदय कृष्ण यादव ने पूर्व में चिन्ह्ति गोथरा-चुरली मौजे की जमीन के कुछ विवादित हिस्सों को काट-छांट कर उसी को नये प्रस्ताव के तौर पर जिला प्रशासन को समर्पित कर दिया. कहते हैं कि डा. आदित्य प्रकाश (Dr. Aditya Prakash) उससे सहमत हो गये. इससे बिफरे पूर्व विधायक नौशाद आलम (Naushad Alam) ने 18 जुलाई 2020 को पुनः एक पत्र ऊर्जा मंत्री को भेजा.

पुराने आरोपों को दुहराते हुए अन्य किसी भूखंड पर विद्युत उपकेन्द्र स्थापित करने का सुझाव दिया. गोथरा-चुरली मौजे की चिन्ह्ति जमीन के कुछ भाग पर टाइटल शूट चलने की बात भी दोहरायी.

प्रशासन की भूमिका पर सवाल
चार अधिकारियों की समिति के जांच प्रतिवेदन का भी हवाला दिया. उस पत्र पर कोई कार्रवाई होती इससे पहले जिलाधिकारी डा. आदित्य प्रकाश ने 06 फरवरी 2021 को चिन्ह्ति भूखंड के चुरली मौजे की जमीनों को हटाकर केवल गोथरा मौजे की18 एकड़ 59 डिसमिल भूमि का एकल प्रस्ताव बीएसपीटीसीएल को भेज दिया.

बीएसपीटीसीएल की स्वीकृति के बाद भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी. इसकी जानकारी मिली तब ठाकुरगंज के पूर्व JDU विधायक नौशाद आलम ने प्रशासन की कथित जिद आधारित अव्यावहारिकता को लक्षित कर 25 फरवरी 2021 को राज्य सरकार के ऊर्जा सचिव को एक पत्र लिखा.


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क्या है विवशता?
जिलाधिकारी डा. आदित्य प्रकाश के संबंधित प्रतिवेदन पर सवाल उठाते हुए भू-अर्जन पर रोक लगाने की मांग की. आमलोग हैरान हैं कि भातगांव में राष्ट्रीय उच्चपथ और सीमा सड़क के बीच में उपयुक्त ऊंचाई पर अपेक्षित रकवे में भूमि उपलब्ध है तो फिर गोथरा-चुरली की गड्ढे वाली कथित विवादित जमीन को अधिग्रहित करने की क्या विवशता है?

ऐसी चर्चा है कि चिन्ह्ति भूखंड का अधिग्रहण हुआ तो मामले को अदालत में भी उठाया जा सकता है. सच क्या है, यह नहीं कह सकते, पर प्रशासनिक महकमे में चर्चा है कि गोथरा-चुरली के चिन्ह्ति भूखंड को ही अधिग्रहित करने के लिए ऊर्जा विभाग के एक ‘बड़े हाकिम’ का दबाव था.

अटक गया है निर्माण
बहरहाल, भू-अर्जन की इस लफड़ेबाजी में विद्युत उपकेन्द्र के निर्माण का मामला अटक-सा गया दिखता है. इससे विद्युत संकट से जूझ रहे ठाकुरगंज (Thakurganj) एवं उसके आसपास के व्यवसायियों-नागरिकों में गुस्सा उफना रहा है. किसी भी दिन वह विस्फोटक रूप ग्रहण कर ले सकता है.

(समाप्त)

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