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ठाकुरगंज का विद्युत उपकेन्द्र : चिन्ह्ति भूमि पर है जांच समिति को आपत्ति

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शिवकुमार राय
17 अक्तूबर, 2021

KISHANGANJ. बीएसपीटीसीएल के विशेषज्ञों ने गोथरा-चुरली मौजे के जिस भूखंड को उपयुक्त बताया है और उस आधार पर जिला प्रशासन ने उसे चिन्ह्ति कर रखा है वह ठाकुरगंज (Thakurganj) बाजार से सटा हुआ है. जिले के कई तत्कालीन विधायकों एवं जनप्रतिनिधियों ने तकनीकी दृष्टि से इस भूखंड के चयन पर गंभीर सवाल उठाये थे.

2019 के सितम्बर में उन सबने मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री एवं बीएसपीटीसीएल के प्रबंध निदेशक को संयुक्त ‘आपत्ति-पत्र’ भेजा था. उसमें चिन्ह्ति भूखंड की ऐतिहासिकता एवं पौराणिकता का जिक्र करते हुए प्रवासी साइबेरियन पक्षियों का भी प्रवास स्थल और मछुआरों को बंदोबस्त किया जाने वाला जलकर बता विद्युत उपकेन्द्र के लिए अनुपयुक्त करार दिया था.

नौशाद आलम हैं अगुआ
ठाकुरगंज के तत्कालीन जदयू विधायक नौशाद आलम (Naushad Alam) इस अभियान के अगुआ हैं. ‘आपत्ति-पत्र’ पर बहादुरगंज के तब के विधायक तौसीफ आलम, कोचाधामन के विधायक मुजाहिद आलम, ठाकुरगंज के पूर्व विधायक गोपाल कुमार अग्रवाल, किशनगंज नगर परिषद के अध्यक्ष हीरा पासवान, ठाकुरगंज के प्रखंड प्रमुख आदि के हस्ताक्षर हैं. अभियान को किशनगंज के तत्कालीन विधायक और वर्तमान में सांसद डाॉ जावेद आजाद का भी समर्थन है.

‘आपत्ति-पत्र’ में कहा गया है कि गोथरा-चुरली की चिन्ह्ति भूमि राष्ट्रीय उच्च पथ के किनारे 10 से 12 फीट नीचे है. उसके एक हिस्से में साल के नौ माह तक 8 से 10 फीट पानी भरा रहता है. झाला एवं कच्चूदह झील उसी के आसपास है. मत्स्य पालन के लिए जल जमाव वाले क्षेत्र को मत्स्यजीवी सहयोग समिति लिमिटेड को बंदोबस्त किया जाता है. इससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती है.

है. ठाकुरगंज (Thakurganj) तक बिजली के संचरण का रास्ता संभवतः गलगलिया (भातगांव) होकर ही जायेगा.


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अस्तित्व मिटाने का कुचक्र
पत्र के मुताबिक विद्युत उपकेन्द्र के लिए नहीं, जल जीवन हरियाली योजना के दृष्टिकोण से यह भू-भाग काफी उपयुक्त है. लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि एक तरफ सरकार विलुप्त तालाबों एवं पोखरों को फिर से अस्तित्व में ला रही है, उसके लिए करोड़ों खर्च कर रही है और दूसरी तरफ यहां कथित रूप से भू-माफियाओं को लाभ दिलाने के लिए पुरानी झील के अस्तित्व को मिटाने का कुचक्र रचा जा रहा है.

पत्र में यह सुझाव भी दिया गया है कि इस क्षेत्र की रमणीयता को देखते हुए गोथरा-चुरली के इस हिस्से को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है. विधायकों, जनप्रतिनिधियों एवं अन्य नेताओं के संयुक्त पत्र के अलावा गोथरा-चुरली मौजे की चिन्ह्ति भूमि को लेकर जिला प्रशासन के समक्ष और अनेक आपत्ति-पत्र दर्ज हुए. अन्य कुछ प्रस्तावों पर भी.

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आदिवासियों का मुद्दा भी उठा
किशनगंज नगर परिषद के अध्यक्ष हीरा पासवान ने दलितों और ठाकुरगंज के वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष जिला पार्षद अनिल मुर्मू तथा इसी संस्था के जिला मंत्री मुकेश हेम्ब्रम ने आदिवासियों के हितों का मुद्दा उठाया. जानकारों के मुताबिक चिन्ह्ति भूखंड में दलितों एवं आदिवासियों को मिली लाल पर्चे वाली जमीन भी है. इस आधार पर भी उन सबने चिन्ह्ति भूखंड के भू-अधिग्रहण के प्रस्ताव को अमान्य कर अन्य प्रस्तावों में से किसी एक पर विचार करने का अनुरोध किया.

बीएसपीटीसीएल के प्रबंध निदेशक और राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के विशेष सचिव के निर्देश पर जिलाधिकारी ने तमाम आपत्ति-पत्रों की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति गठित कर दी.

जांच समिति ने भी गड्ढा बताया
समिति में सिर्फ प्रशासनिक अधिकारी थे. अपर समाहर्ता, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी, जिला वन पदाधिकारी और ठाकुरगंज के अंचलाधिकारी. संबद्ध कागजातों के गहन अध्ययन एवं स्थल निरीक्षण के उपरांत जांच समिति ने चिन्ह्ति भूखंड के बड़े हिस्से को विवादित माना. टाइटल शूट चलने की बात कही. उसे पुरानी झील बताते हुए अधिकतर हिस्सों में गड्ढे और जल जमाव की बातों की पुष्टि की.

इस आलोक में उसका स्पष्ट कहना रहा – अर्जनाधीन भूमि के विवादित होने की स्थिति में इसे सतत लीज पर लिया जाना उचित नहीं है. जांच प्रतिवेदन में दलितों-महादलितों के श्मशान एवं कब्रिस्तान का भी जिक्र है. इस रूप में कि विद्युत उपकेन्द्र के लिए बेसरबाटी मौजे में प्रस्तावित भूमि पर जाने का रास्ता उसी होकर बनाने का प्रयास कथित भू-माफिया गोविंद अग्रवाल, गौरव गरोड़िया एवं अंकित गरोड़िया ने किया.

है. ठाकुरगंज (Thakurganj) तक बिजली के संचरण का रास्ता संभवतः गलगलिया (भातगांव) होकर ही जायेगा.


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शमशान और कब्रिस्तान
किशनगंज नगर परिषद के अध्यक्ष हीरा पासवान एवं बोधाराई के इस आशय के आरोप को जांच समिति ने सही पाया. इन सबके मद्देनजर चार सदस्यीय आधिकारिक समिति का साफ शब्दों में कहना रहा-प्रस्तावित भूमि सतत लीज पर नहीं ली जा सकती. जानकार बताते हैं कि श्मशान और कब्रिस्तान के नजदीक वाला स्थल भातगांव के समीप है. उसके अधिग्रहण का प्रस्ताव संभवतः गोविंद अग्रवाल, गौरव गरोड़िया एवं अंकित गरोड़िया ने रखा था जिसे शायद जिला प्रशासन ने अमान्य कर दिया.

चर्चा यह भी सरेआम हो रही है कि इस भूमि-प्रकरण में ठाकुरगंज निवासी विवादित छवि के सिकंदर पटेल की भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष भूमिका है. ठाकुरगंज की सरोती देवी, केशवती देवी तथा लीलाचन्द्र गणेश ने अपनी पुश्तैनी जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप उनपर मढ़ा है. जमीन को कब्जा मुक्त कराने की गुहार जिलाधिकारी से लगायी है.

जांच का विषय
आरोप में सच्चाई कितनी है, यह जांच का विषय बनता है. भू-अर्जन मामले में प्रदेश युवा जदयू के महासचिव महताब आलम की विशेष रुचि की भी चर्चा लोग खूब कर रहे हैं. वह बंदोबस्त भूमि के मुद्दे को उठा रहे हैं.

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