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आखिर, छलक ही गयी पीड़ा समाजवादी बाबा की!

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विशेष प्नतिनिधि
05 जुलाई 2023
Patna : इन दिनों बाबाओं की खूब तड़क – भड़क है. राजनीति में और धर्म में भी बहुत वेराइटी के बाबा आ गये हैं. एक से एक लालची, उतने ही परमार्थी भी. सभी बाबाओं की अलग-अलग खूबियां हैं. बिहार (Bihar) में भी एक राजनीतिक बाबा हैं. सुविधा के लिए इन्हें पालिटिकल बाबा कह सकते हैं. थोड़ा और विशेषण जोड़ना हो तो समाजवादी पालिटिकल बाबा कह सकते हैं. जेपी के आन्दोलन से पहले के आन्दोलनकारी हैं. सभी बाबाओं की कुछ न कुछ खूबी होती है. इनकी भी है. ये बोलते समय लाभ – हानि का विचार नहीं करते हैं. इसके कारण अबतक लाभ कम , हानि अधिक हुई. बेफिक्र रहते हैं. इसलिए उम्र बढ़ने बाद भी चेहरे पर नौजवानों वाली चमक है.

सभी दलों ने गुण गाये
बात थोड़ी पुरानी है. महीना बाबा साहेब भीमराव अंबेदकर (Baba Saheb Bhimrao Ambedkar) के नाम पर गुजरा. चुनाव का वर्ष है, इसलिए उन सभी दलों ने बाबा साहेब को याद किया, उनके गुण गाये, जो इससे पहले महज उनके जन्मदिन की औपचारिकता निभाते थे. जदयू (JDU) ने भीम चौपाल का आयोजन किया. राजद (RJD) ने उनके नाम पर परिचर्चा की शुरुआत की. दाेनों दलों के जलसे में लोगों को बताया गया कि अभी विकट समय चल रहा है. बाबा साहेब ने जिस संविधान का निर्माण किया था, उस पर खतरा आ गया है. सावधान रहना है. सामाजिक और राजनीतिक समानता के सिद्धांत को बचाने के लिए यह जरूरी है. श्रोताओं ने खूब तालियां बजायी. बाबा के जयकारे लगाये.


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संविधान पर खतरा
अंबेदकर परिचर्चा शुरू करने वाले दल राजद में भी बड़ा जलसा हुआ. तीन दिन प्रदेश मुख्यालय में चुनिंदा लोगों को प्रशिक्षण दिया गया कि कैसे लोगों को बताया जाये कि संविधान पर खतरा है. उससे कैसे निबटना है. एक दिन समाजवादी बाबा को भी बोलने का मौका दिया गया. बाबा बोले कि उनके जैसे समाजवादी लोग कहीं के नहीं रह गये हैं. बाबा बिरादरी के लोग समाजवादी बता कर अछूत घोषित किए हुए हैं. दूसरी तरफ जातियों में बंटे समाजवादी उन्हें बाबा बिरादरी का बता कर कम आंकते हैं. लगे हाथ उन्होंने रामचरित मानस के नए व्याख्याकार शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर (Chandrashekhar) की धुलाई कर दी. कहा कि हम लोगों को बतायेंगे कि पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक और ऊंची जाति के गरीब लोग एक होकर संविधान पर आये खतरे का मुकाबला करें. दूसरी तरफ हमारी पार्टी में ही ऐसे नेता हैं जो जाति से ऊपर कभी उठ नहीं पाते हैं.

मंत्री को धो दिया
बाबा ने रामचरित मानस (Ramcharit Manas) वाले शिक्षा मंत्री की ओर इशारा करते हुए कहा कि इनका ही उदाहरण ले लीजिए. इनके निजी स्टाफ में एक भी आदमी दूसरी जाति का नहीं है. चपरासी, क्लर्क और पीए, सब अपनी जाति के हैं. यहां तक की सुरक्षा में लगे जवानों का चयन भी इन्होंने अपनी जाति देखकर ही किया है. ऐसे में संविधान (Constitution) पर आ रहे खतरे को कैसे पूरा बहुजन समाज रोकेगा. इन्हीं से पूछ लीजिए. श्रोताओं को मजा आ रहा था. उधर मंत्रीजी पाताल खोज रहे थे. बाबा की भूमिका श्रोताओं के बड़े हिस्से को पसंद आयी. कुछ नाराज भी हुए. इससे बाबा को क्या फर्क पड़ता है. वह लाभ – हानि के हिसाब से बहुत पहले ऊपर उठ चुके हैं. समाजवादी बाबा कौन हैं, समझ ही गये होंगे.

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