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हूनर देखिये उनकी कमा रहे हैं लहर गिनकर…!

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विशेष प्रतिनिथि
15 अप्रैल 2024

Patna : सही कहा गया है कि कमाने का हूनर चाहिए. आदमी लहर गिन कर भी कमा लेता है. लहर गिनकर कमाने के कई उदाहरण हैं. ताजा उदाहरण के रूप में राजनीति के लोग नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के दरबार की चर्चा करते हैं. इसमें सच कितना और गप कितना है, यह कहना कठिन है. वैसे, यह सबको पता है कि नीतीश कुमार पहले की तरह नहीं रहे. उनकी यादाश्त (Memory) कभी-कभी काम नहीं करती है. भूलने भी लगे हैं. बोलने के मामले में भी यही हाल है. बोलना कुछ चाहते हैं, मुंह से कुछ निकल जाता है. कभी – कभी तो ऐसा भी कुछ निकल जाता है, जिसके लिए उन्हें माफी मांगनी पड़ती है. खैर, उनकी इस अवस्था पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती है. क्योंकि किसी के स्वास्थ्य (Health) के बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. किसी के साथ यह स्थिति हो सकती है.

दलालों का गिरोह
मगर राजनीति (Politics) के गलियारों की चर्चाओं पर विश्वास करें तो नीतीश कुमार के करीबी उनके संकट को अवसर में बदल चुके हैं. अब तो यह अवसर इतना फलदायी हो गया है कि कोई करीबी नहीं चाहता है कि वह पुरानी दशा में लौट सकें. मुख्यमंत्री आवास से छनकर बाहर आये संकट को अवसर बनाने का नमूना देखिये. सबसे भरोसेमंद अधिकारी (Trusted Officer) का तबादला-पदस्थापन कारखाना इतना तेजी से चल रहा है कि डीएसपी से लेकर आईजी और एसडीओ से लेकर चीफ सेक्रेटरी के ओहदे तक की बोली लग जा रही है. दलालों का गिरोह राजधानी से लेकर जिलों तक में फैल गया है. एक ही सौदे के लिए कई दलाल बात करते हैं. फिर पटा लेने वाला दलाल उक्त अधिकारी से बात कर सौदा पक्का करता है.

टिकट के लिए सौदेबाजी!
ऐसे सौदों की जानकारी रखने वालों का कहना है कि अगर साल भर के तबादले-पदस्थापन की निष्पक्ष जांच हो तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा. इस संदर्भ में इसकी चर्चा करना भी समीचीन है कि नीतीश कुमार की पार्टी ने अपने सांसदों की जीत की संभावना का आंतरिक सर्वे कराया था. करीब सात सांसदों के बारे में रिपोर्ट आयी कि उन्हें उम्मीदवार (Candidate) बनाया गया तो दोबारा जीतना संभव नहीं होगा. कहा जाता है कि दरबारियों ने इस श्रेणी के सांसदों को बता दिया कि टिकट कटा हुआ ही समझिये. बस फिर क्या था. टिकट कटने की आशंका से त्रस्त सांसदों ने सौदेबाजी की. कितने में डील हुआ होगा यह बताने की नहीं, समझने की बात है. पार्टी नेतृत्व को समझाया गया कि टिकट काटना ठीक नहीं होगा. टिकट काटेंगे तो वे बागी बनकर मैदान में उतर जायेंगे, पार्टी की हार हो जायेगी.


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एक मोर्चा ऐसा भी था
दरबारियों के सुझाव (Suggestion) पर दो को छोड़ सभी वर्तमान सांसदों को टिकट दे दिया गया. वैसे, चर्चा यह भी है कि एक मोर्चा नीतीश कुमार से मुलाकात और बात कराने का भी खुला हुआ था. इसके लिए भी शर्तें निर्धारित थीं. चूंकि आमतौर पर ऐसे प्रकरणों का कोई प्रमाण नहीं होता है इसलिए न दरबारी इसको सच मानेंगे और न कथित रूप से लाभान्वित होने वाले लोग. आपत्ति दरबार को भी हो सकती है. लेकिन, जो हालात हैं उसके मद्देनजर उक्त चर्चाओं को कोरा गप भी नहीं माना जा सकता है.

@tapmanlive

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