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चांदनी की ‘चमक’ से हिल गये प्रभुनाथ और तारकेश्वर!

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राजेश पाठक
24 अक्तूबर, 2021

CHHAPRA : चांदनी देवी चुनाव मैदान में उतरीं. दिवंगत विधायक अशोक सिंह (Ashok Singh) की विधवा चांदनी देवी (Chandani Devi). पहली बार चुनाव मैदान में उतरीं, वैसी बात नहीं. पूर्व में विधानसभा (Assembly) का चुनाव लड़ चुकी हैं. यह अलग बात है कि कामयाबी उनसे दूर छिटकी रही. तकरीबन 25 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद इस चुनाव में उनकी किस्मत चमक गयी. ऐसी कि उनके दो बड़े विरोधी पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह (Prabhunath Singh) और पूर्व विधायक तारकेश्वर सिंह (Tarkeshwar Singh) ‘मूर्छित’ हो गये.

चांदनी देवी की इस जीत से बनियापुर (Baniyapur) और तरैया (Taraiya) विधानसभा क्षेत्रों के राजनीतिक समीकरणों के उलट-पुलट जाने की संभावना बड़ा आकार ग्रहण करने लग गयी है. बनियापुर से अभी केदारनाथ सिंह (Kedarnath Singh) राजद के विधायक हैं. तरैया से भाजपा के जनक सिंह (Janak Singh). मशरख इन्हीं दो विधानसभा क्षेत्रों में समाहित है.

काफी पीड़ादायक है अनुभव
चांदनी देवी का अनुभव काफी पीड़ादायक रहा है. चुनाव लड़ने का पहला मौका उन्हें दुखद परिस्थितियों में मिला था. 1995 में विधायक पति अशोक सिंह की हत्या के बाद मशरख (Mashrakh) में हुए उपचुनाव में जीत नहीं हो पायी. दिवंगत अशोक सिंह के बड़े भाई तारकेश्वर सिंह की अतिमहत्वाकांक्षा ने उनका दुर्भाग्य बढ़ा दिया.

चांदनी देवी तब से राजनीति में ठांव तलाश रही हैं. उसी क्रम में 2020 में तरैया या बनियापुर से उम्मीदवारी के लिए उन्होंने खूब हाथ-पांव चलाये. कहीं अवसर नहीं मिला. तब तरैया से निर्दलीय उम्मीदवार बन गयीं. उपलब्धि घोर निराशाजनक रही. अप्रत्याशित ढंग से सिर्फ 563 मतों में सिमट गयीं.

तब भी निराश नहीं हुईं
मतों के मामले में इस दुर्गति से चांदनी देवी हताश-निराश नहीं हुईं. इसका फल उन्हें मिला. राजनीतिक भविष्य संवरने का द्वार भी खुल गया. इस रूप में कि सारण जिला परिषद के प्रक्रियाधीन चुनाव में वह उम्मीदवार बन गयीं. मशरख पश्चिमी भाग-2 (संख्या 28) से.

2016 में गोपालबाड़ी सेमारी की पुष्पा सिंह (Pushpa Singh) की 5 हजार 323 मतों के अंतर से बड़ी जीत हुई थी. उन्हें 8 हजार 369 मत मिले थे. तो दूसरे स्थान पर रहीं बहरौली की प्रमिला देवी को मात्र 3 हजार 46 मत. संयोग ऐसा कि दोनों इस बार मैदान में नहीं थीं.

चुनाव से बाहर हो गयीं पुष्पा सिंह
प्रमिला देवी को पारिवारिक व्यस्तता ने चुनाव से अलग रहने को मजबूर कर दिया तो निवर्तमान जिला पार्षद पुष्पा सिंह के साथ दुर्भाग्य जुड़ गया. तकनीकी कारणों से नामांकन रद्द हो गया. लेकिन, चुनाव से अलग हो वह घर में नहीं बैठ गयीं. सामाजिक रिश्ते की सन्हौली निवासी भाभी रेशमी यादव पर दांव खेल गयीं. पर, जीत नहीं दिला पायीं.

यूं कहें कि मतों की दृष्टि से रेशमी यादव की दुर्गति हो गयी तो वह कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. रेशमी यादव की उपलब्धि मात्र 735 मतों की रही. इस बार बड़ी जीत चांदनी देवी की हुई. विरोध में प्रभुनाथ सिंह (Prabhunath Singh) और तारकेश्वर सिंह (Tarkeshwar Singh) के समर्थकों की ताकत खपने के बावजूद 10 हजार 280 मतों के भारी अंतर वाली जीत. चांदनी देवी को 14 हजार 990 मत मिले. निवर्तमान जिला पार्षद पुष्पा सिंह के भविष्य की झलक 2020 के विधानसभा चुनाव में ही दिख गयी थी.


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टूट गया भरोसा
क्षेत्र के लोगों का ही कहना है कि इस लोकगायिका को अपनी लोकप्रियता पर हकीकत से कहीं अधिक भरोसा हो गया था. इतना कि विधानसभा चुनाव में बनियापुर से निर्दलीय उम्मीदवार बन गयीं. वह भरोसा पूरी तरह ढह गया. लोकप्रियता रेशमी यादव को मिले 02 हजार 395 मतों में सिकुड़ गयी.

जिला परिषद के चुनाव में गंगौली की किरण देवी (Kiran Devi) और मशरख की पूर्व जिला पार्षद गोदावरी देवी को भी संघर्ष में माना जा रहा था. लेकिन, सफलता उनसे काफी दूर रह गयी. किरण देवी के पीछे अघोषित तौर पर प्रभुनाथ सिंह एवं तारकेश्वर सिंह के समर्थकों की भी ताकत लगी थी.

सफल नहीं हुई चाल
वैसे तो प्रभुनाथ सिंह और तारकेश्वर सिंह में घोर प्रतिद्वंद्विता है, पर चांदनी देवी की राह अवरुद्ध करने के लिए दोनों का अलग-अलग साथ किरण देवी को मिल गया. इससे दूसरे स्थान पर वही रहीं. परन्तु, मतों की संख्या 4 हजार 710 पर अटक गयी. किरण देवी 2016 में भी उम्मीदवार थीं. 2 हजार 128 मत प्राप्त कर पायी थीं. इस बार के चुनाव में अतिपिछड़ा समाज की गोदावरी देवी को 2 हजार 225 मत प्राप्त हुए.

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