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ऐसी उम्मीद नहीं रही होगी पप्पू यादव को

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विशेष संवाददाता
30 दिसम्बर, 2021

PATNA : कूदकर कहीं भी पहुंच जाने, मतलब-बेमतलब मामले में टांग अड़ा देने और अच्छी-बुरी अपनी समझ साझा कर देने के गुण-अवगुण से लबालब भरे जाप सुप्रीमो पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव (Rajesh Ranjan urf Pappu Yadav) को उस दिन अपने कायांतरित सार्वजनिक जीवन में संभवतः पहली बार ऐसा कसैला अनुभव मिला होगा.

मौका JDU के अति धनाढ्य सांसद महेन्द्र प्रसाद सिंह उर्फ किंग महेन्द्र (Mahendra Prasad Singh urf Kingh Mahendra) के असामयिक निधन पर शोक संवेदना जताने से संबद्ध है. नयी-नयी विकसित अपनी आदत के अनुरूप पप्पू यादव (Pappu Yadav) दिवंगत सांसद किंग महेन्द्र को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए दिल्ली स्थित उनके आवास पर पहुंच गये. पप्पू यादव आये हैं तो उनके सम्मान में मुख्य प्रवेश द्वार का दरबाजा स्वतः खुल जाना चाहिये था. परन्तु, वैसा नहीं हुआ.

किंग महेंद्र के दरवाजे पर खड़ा पप्पू यादव.

प्रवेश नहीं मिला
इसके बरक्स उन पर नजर पड़ते ही दरबाजा बंद कर दिया गया. वहां मौजूद लोगों ने सच या झूठ जो जानकारी उपलब्ध करायी है, उसके मुताबिक पप्पू यादव ने अपने आगमन का संवाद अंदरखाने भी पहुंचवाया. पर, ‘अवांछित आगमन’ को प्रवेश की अनुमति नहीं मिली. ऐसा क्यों हुआ, मुकम्मल रूप में यह नहीं कहा जा सकता.

अनुमान लगाया जा रहा है कि पप्पू यादव के ‘कायांतरित जीवन’ के पहले वाले दौर में इस परिवार को उनसे कोई न कोई दिल दुखाने वाला अनुभव मिला होगा. वह अनुभव क्या रहा होगा, यह बताने की शायद जरूरत नहीं. पप्पू यादव दिवंगत किंग महेन्द्र के दरबाजे पर गये, प्रवेश नहीं मिला. हाथ मलते तो लौटते नहीं!


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स्वभाविक मौत नहीं
लगे हाथ उनके दरबाजे पर ही आरोप मढ़ दिया कि किंग महेन्द्र की स्वाभाविक मौत नहीं हुई है. परिवार के लोगों ने संपत्ति के लोभ में सुनियोजित ढंग से उनकी हत्या कर-करा दी है. और कुछ हो या नहीं, इस रूप में पप्पू यादव को बैठे-बैठाये एक नया मुद्दा मिल गया है. धरना-प्रदर्शन का. या फिर…!

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