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पप्पू यादव ने लौटा दी… अध्यक्ष जी की अटकी सांस !

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विशेष प्रतिनिधि
05 अप्रैल 2024

Patna : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष (State Congress chairman)  डा. अखिलेश प्रसाद सिंह (Dr. Akhilesh Prasad Singh) को तब खूब गुस्सा आया था. गुस्सा आना स्वाभाविक भी था. उनकी मर्जी के बिना पार्टी में दबंग लोगों को इंट्री मिलने लगी थी. कांग्रेस मुख्यालय (Congress Headquarters) में आयोजित मिलन समारोह में न जाकर उन्होंने अपनी नाराजगी दर्ज करा दी थी. लेकिन, उनके साथ अच्छी बात यह है कि गुस्सा भले आ जाता हो, वह किसी चीज का बुरा नहीं मानते हैं. क्योंकि उनका लक्ष्य सीधा और साफ है-बाकी जाये भांड़ में, काम बने अपना. यह लक्ष्य उनका सधा हुआ है. स्वयं उच्च सदन में हैं. अगले छह साल के लिए भी निश्चिंत हो गये हैं. इस लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में उनकी एक ही चिंता है कि किसी तरह बेटा आकाश कुमार सिंह (Akash Kumar Singh) भी सदन में पहुंच जाये.

मामला दूसरा हो गया
इसके लिए 2019 में भी उन्होंने जोर लगाया था. कांग्रेस में दाल नहीं गल पायी थी, पूर्वी चंपारण से उपेन्द्र कुशवाहा की उस समय की पार्टी रालोसपा का उम्मीदवार बनवा दिया था. रालोसपा तब महागठबंधन का हिस्सा थी. सब कुछ हुआ, पर जीत आकाश कुमार सिंह से काफी दूर रह गयी थी. डा. अखिलेश प्रसाद सिंह ने इस बार भी बेटे के लिए सीट की पहचान कर ली है. उम्मीदवारी तय होना शेष है. जो हो, उनके इस लक्ष्य की आलोचना नहीं की जा सकती है. इसलिए कि सभी दलों में इस समय यही चल रहा है. क्या नया और क्या पुराना, सब नेता अगली पीढ़ी को व्यवस्थित करने में लग गये हैं. लेकिन, यहां मामला दूसरा हो गया है .

कांग्रेस में शामिल हो गये पप्पू यादव…

कांग्रेस से नाता तोड़ लिया
प्रदेश अध्यक्ष डा. अखिलेश प्रसाद सिंह की सहमति के बिना कांग्रेस नेतृत्व की ओर से दबंग छवि के पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव (Rajesh Ranjan alias Pappu Yadav) को पार्टी में शामिल करा लिया गया. बड़ी किरकिरी हुई. इसके विरोध में पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शर्मा (Anil Sharma) ने कांग्रेस (Congress) से नाता तोड़ लिया. पप्पू यादव के पार्टी में प्रवेश से कांग्रेस के लोग इस आशंका में घुलने लगे कि आगे बहुत कुछ हो सकता है. इसलिए कि जो पप्पू यादव आये हैं, उन्हें अध्यक्ष पद हमेशा अपने पास रखने और संगठन को मनमाफिक हांकने का अनुभव रहा है. अनुभव क्या, आदत कह लीजिये. पप्पू यादव ने आते ही रहस्योद्घाटन किया कि उन्हें प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने डाइरेक्ट फोन किया था. कहा था कि सोच -विचार मत कीजिये. सीधे आइये. आपके बारे में हम विचार करेंगे.


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राजद की बी टीम
कार्यकर्ताओं ने संदेश ग्रहण किया कि नये वाले का आलाकमान फैमिली से सीधे संबंध है. पता करने की जरूरत है कि कभी प्रियंका गांधी ने पप्पू यादव को फोन किया? शायद नहीं किया. पप्पू यादव तो आसपास के लोगों से ही काम चलाते रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष डा. अखिलेश प्रसाद सिंह को लेकर पहले से यह चर्चा है कि वह कांग्रेस में राजद की बी टीम चला रहे हैं. अपनी पार्टी के हित से पहले उस पार्टी का हित देखते हैं, जहां से आये हैं. वैसे, प्रदेश कांग्रेस के तटस्थ लोगों को आनंद आ रहा है. ये आने वाले दिनों में आश्रम में होने वाली घटनाओं के बारे में कल्पना कर रहे हैं.

तैयारी थी अभिनंदन की
इस बीच खबर यह फैली कि पप्पू यादव के प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम (Sadaqat Ashram) में अभिनंदन की तैयारी हो रही है. चुनाव आयोग से पूछा गया कि अभिनंदन पर तो कोई पाबंदी नहीं है. अनुमति मिल जाती तो अभिनंदन के नाम पर जबरदस्त आयोजन होता. उसी दिन यह भी तय हो जाता कि डा. अखिलेश प्रसाद सिंह की अध्यक्ष की कुर्सी रहेगी या जायेगी. संभवतः चुनाव आयोग (election Commission) से अनुमति नहीं मिली. इस बीच पूर्णिया (Purnia) से उम्मीदवारी के सवाल पर पप्पू यादव और तेजस्वी प्रसाद यादव के बीच तनातनी से हालात ऐसे बन गये कि अन्य मुद्दे गौण पड़ गये. तनातनी के ऐसे ही माहौल में तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Prasad Yadav) की उम्मीदवार बीमा भारती (Bima Bharti) ने बुधवार को और पप्पू यादव ने गुरुवार को नामांकन के पर्चे दाखिल कर दिये.

एक-दो दिनों में विदाई
बहरहाल, बीमा भारती के पक्ष में अड़े लालू प्रसाद (Lalu Prasad) और तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Prasad Yadav)  ने पूर्णिया के इस मामले को अपने अहं से जोड़ रखा है. उनके कड़े रुख को नजरअंदाज कर पप्पू यादव ने नामांकन की पर्ची दाखिल की है. इससे साफ संकेत मिल रहा है कि पप्पू यादव अपने रुख पर बने रहे तो आजकल में कांग्रेस से उनकी विदाई हो जा सकती है. राजनीति के बदल रहे हालात से डा. अखिलेश प्रसाद सिंह को कितना सुकून मिल रहा होगा इसका अंदाज लगाइये! जितना पुत्र आकाश कुमार सिंह (Akash Kumar Singh) को उम्मीदवारी से मिलेगा उससे कहीं अधिक इससे मिल रहा होगा.

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