सहकारिता मंत्री के जिले में भी है खुला खेल फर्रुखाबादी!
महर्षि अनिल शास्त्री
26 सितम्बर 2021
GOPALGANJ. सहकारिता मंत्री सुभाष सिंह (Subhash Singh) का गृह जिला है गोपालगंज. बिहार स्टेट को-ऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड (Bihar State Co-operative Federation Ltd.) के बहुचर्चित अध्यक्ष विनय शाही (Vinay Shahi) का भी. इससे अधिक शर्मनाक और क्या हो सकता है कि इस जिले के सहकारी क्षेत्र में भी खुला खेल फर्रुखाबादी है. विविध किस्म के गोरखधंधों की जड़ गहराई तक जम गयी है.
औरों की बात छोड़िये, ऐसे कारनामों में विनय शाही के कथित शातिरदिमागी पुत्र ज्योति कुमार की संलिप्तता और सहकारिता मंत्री सुभाष सिंह के कथित संरक्षण के आरोप उछल रहे हैं. संरक्षण के आरोप में भले दम नहीं हो, पर गृह जिले में घपलेबाजी पर मौन से संदेह तो जन्म लेता ही है.
मकसद बिचौलियों से बचाना है
मामला व्यापार मंडल और पैक्स के जरिये धान खरीद का है. राज्य सरकार ने किसानों को बिचौलियों के चंगुल से बचा उन्हें उपज का समुचित मूल्य दिलाने के लिए व्यापार मंडल और पैक्स के माध्यम से खरीद की व्यवस्था कर रखी है. सहकारी क्षेत्र की ये दोनों संस्थाएं सरकार घोषित समर्थन मूल्य पर सीधे किसानों से उपज खरीद बिहार राज्य खाद्य निगम के निर्धारित गोदामों में पहुंचाती है. गेहूं को सीधे और धान को चावल के रूप में कुटवा कर.
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राइस मिलें भी हैं धान के गोरखधंधों में शामिल
गोरखधंधा आमतौर पर धान-चावल में ही होता है. गेहूं में गुंजाइश कम रहती है. व्यापार मंडल या फिर पैक्स के क्रय केन्द्रों पर किसानों से धान की खरीद होती है. आस-पास की राइस मिलों (Rice Mill) में उसकी कुटाई करा संबद्ध गोदाम में चावल पहुंचा दिया जाता है. उसका भुगतान बिहार राज्य खाद्य निगम (Bihar State Food Corporation) करता है. गोदामों से वह राशि क्रय केन्द्रों को जाती है. क्रय केन्द्र संबद्ध किसानों के बैंक खाते (Bank Account) में उनके हिस्से की राशि डाल देता है. कुटाई और पोलदारी के एवज में राइस मिल को 54 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान मिलता है.
व्यवस्था ठोस, पर अभेद्य नहीं
किसानों को बिचौलियों से बचाने की सरकार की यह व्यवस्था इतनी ठोस है. तब भी यह अभेद्य नहीं है. शातिरों ने इसमें भी बड़ी सेंध लगाने की तरकीब निकाल रखी है. सिर्फ गोपालगंज जिले में ही नहीं, तकरीबन संपूर्ण राज्य में यह सेंधमारी हो रही है. सबको सब कुछ मालूम है. इसके बावजूद कहीं कोई रोक नहीं, कोई कार्रवाई नहीं. व्यापार मंडल (Vyapar Mandal) के जरिये धान खरीद में गोरखधंधे और इसमें उच्चस्तरीय संलिप्तता को जानने-समझने के लिए बस एक उदाहरण काफी है.
गोपालगंज जिले के विजयीपुर व्यापार मंडल का उदाहरण. बिहार स्टेट को-ऑपरेटिव फेडरेशन के अध्यक्ष विनय शाही ही विजयीपुर व्यापार मंडल के अध्यक्ष हैं. धान खरीद के नाम पर वहां खूब घपलेबाजी हुई है. आरोप विनय शाही के पुत्र ज्योति कुमार (Jyoti Kumar) पर लग रहे हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि इस व्यापार मंडल में धान की ज्यादातर खरीद कागज पर हुई. वैसे गरीब किसानों के नाम पर भी सौ-सवा सौ क्विंटल धान की खरीद दिखायी गयी है जिनके पास पांच-दस कट्ठा भी जमीन नहीं है. क्रय केन्द्रों पर खरीदे गये कागजी धान की कुटाई भी फर्जी हुई. पर, गोदाम में चावल पहुंचाये गये.
तब चावल गोदाम में कैसे पहुंच जाते?
यहां सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब धान की कागजी खरीद और फर्जी कुटाई हुई तो फिर गोदाम में चावल कैसे और कहां से पहुंचाये गये? इस सवाल का एक शब्द में जवाब है घपलेबाजी. ऐसा कहा जाता है कि उक्त कथित धान के एवज में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के राइस मिलों से सस्ते दामों पर निम्नस्तरीय चावल खरीद गोदाम में पहुंचा दिये गये. भुगतान निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप हुआ. धान की कीमत क्रय केन्द्र को मिली. उसने संबद्ध किसानों के बैंक खाते में राशि डाल दी.
आरोपों के मुताबिक किसानों के बैंक खाते से वह राशि कथित रूप से ज्योति कुमार के खाते में आ गयी. उसी में से ज्योति कुमार ने उत्तर प्रदेश की राइस मिलों को भुगतान भेज दिया, जहां से चावल मंगवाये गये. ज्योति कुमार की ऐसी डिलिंग उत्तर प्रदेश के श्रीराम राइस मिल, शिवम् भंडार, जय बजरंग ट्रेडर्स, पशुपतिनाथ से है. 29 दिसम्बर 2020 से 15 जनवरी 2021 के बीच के 18 दिनों के दौरान इन्हें 86 लाख 32 हजार का भुगतान भेजा गया.
उच्चस्तरीय जांच जरूरी
सच क्या है, यह जांच का विषय है. लोग कहते हैं कि इस हेराफेरी में 250 रपये प्रति क्विंटल की कमाई होती है. कथित रूप से सबका हिस्सा बंधा है. इसके दायरे में जिला सहकारिता पदाधिकारी, प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी और गोदाम प्रबंधक के भी रहने की बात कही जाती है.
इस गोरखधंधे की बाबत tapmanlive.com ने पैक्स अध्यक्ष विनय शाही से बात की. उनका कहना रहा कि ये तमाम आरोप राजनीति के तहत उछाले जा रहे हैं. धरातली सच कुछ और है. उनके पुत्र ज्योति कुमार का विजयी पूर्व व्यापार मंडल से कुछ भी लेना-देना नहीं है. विनय शाही का कहना जो हो, संबंधित कागजात में दर्ज तथ्य उनके इस कथन से मेल नहीं खाते.