बस, अपनों की महत्वाकांक्षा से परेशान हैं वह
विशेष प्रतिनिधि
05 जनवरी 2024
Patna : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मनः दशा को लेकर पिछले कुछ माह से कई तरह की कहानियां चल रही हैं. वह बहुत जल्दी नाराज हो जाते हैं. बहुत जल्दी खुश हो जाते हैं. कहीं किसी समय निकल जाते हैं. यह सब किसी खास बीमारी का लक्षण बताया जाता है. लेकिन, करीब के लोग बता रहे हैं कि उन्हें कोई बीमारी-उमारी नहीं है. बस, अपनों की महत्वाकांक्षा (Ambition) से परेशान हो गये हैं. लंबे समय से उनके अपने रहे जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को उपमुख्यमंत्री बनने की बड़ी जल्दबाजी हो रही थी. संभवतः अब भी है ही. इसके लिए उन्होंने जो फार्मूला बनाया था, कहते हैं कि वह नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को एकदम पसंद नहीं आया.
साजिश नजर आयी
राजनीतिक (Political) हलकों की चर्चाओं के मुताबिक फार्मूला यही कि ललन सिंह उपमुख्यमंत्री बन जायेंगे. अभी वाले उपमुख्यमंत्री की प्रोन्नति मुख्यमंत्री में हो जायेगी. नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के दावेदार बन कर दिल्ली में कैंप करेंगे. देखने में यह फार्मूला अच्छा लगा, मगर नीतीश कुमार को इसमें साजिश नजर आयी. पहली बात तो यह कि एक बार कुछ दिनों के लिए पद से हटकर वह देख चुके हैं. यह जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के मुख्यमंत्री बनने के तीन महीने के बाद की घटना है.
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जब मांझी भड़क गये
एक शाम नीतीश कुमार ने जीतनराम मांझी को फोन किया. आपरेटर ने उन्हें पहले से बताये बिना यह कहते हुए फोन दे दिया कि बात कीजिये, साहब का फोन है. जीतनराम मांझी भड़क गये. कौन साहब? साहब हम हैं. दूसरा साहब कौन हो गया. उन्हें यह पता नहीं था कि दूसरी तरफ नीतीश कुमार लाइन पर थे. वह चुप लगा गये. उसी दिन उन्होंने जीतनराम मांझी को हटाकर खुद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने का निर्णय कर लिया. वह दिन और आज का दिन, नीतीश कुमार कुर्सी से उतरने की कल्पना कर ही कांपने लगते हैं. इसीलिए भाजपा की ओर से की गयी अपमानजनक टिप्पणियों (Derogatory Comments) के बावजूद पद से नहीं हटे.
छोटेपन पर ताना
आपको याद होगा कि 2020 के विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के बाद भाजपा का हर छोटा-बड़ा नेता कहने लगा था कि हम बड़ी पार्टी हैं. छोटी पार्टी के नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाये हुए हैं. आज भी वही हालत है. बड़ी पार्टी के नाम पर राजद ने बड़ा-बड़ा विभाग ले लिया है. उसके नेता भी नीतीश कुमार की पार्टी के छोटेपन पर ताना मारते हैं. नीतीश कुमार उसका बुरा नहीं मानते हैं. इसलिए कि यहां से निकलने के बाद मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की कोई गुंजाइश नहीं है. दरबारी बताते हैं कि अब राजद (RJD) की ओर से भी कहा जा रहा है कि छोटू को सीएम बनने की कोई जल्दी नहीं है. यह सूचना जिस दिन से मिली है, नीतीश कुमार के बोल वचन स्थिर हो गये हैं. हां, उपमुख्यमंत्री बनने के लिए बेताब ललन सिंह (Lalan Singh) के प्रति उनकी नाराजगी ऐसी बढ़ी कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से उन्हें रूखस्त हो जाना पड़ा.
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