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लखीसराय : औंधे मुंह गिर गये ललन सिंह ‘घोषित अध्यक्ष’

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विशेष संवाददाता 
30 नवम्बर, 2021

LAKHISARAI : मनोज मेहता लखीसराय जिला परिषद (Zila Parishad) के निवर्तमान उपाध्यक्ष हैं. पार्टी से जुड़ाव है या नहीं, JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं क्षेत्रीय सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह (Rajiv Ranjan Singh urf Lalan Singh) के स्थानीय नजदीकियों में गिनती अवश्य होती है. तभी तो ललन सिंह अपने खास लोगों के बीच कहा करते थे कि इस बार उनकी (मनोज मेहता) प्रोन्नति होगी. यानी जिला परिषद के अध्यक्ष पद पर उन्हें ही बैठाया जायेगा. क्या होता क्या नहीं, यह भविष्य की बात थी, ललन सिंह जब ऐसा कहते थे, तो सुनने वाले लोग या तो एकबारगी चौंक उठते थे या मुस्कुरा बैठते थे.

चौंकना स्वाभाविक था. कारण कि जिला परिषद के अध्यक्ष पद पर अभी ललन सिंह के ही अतिकरीबी रामाशंकर शर्मा उर्फ नुनू बाबू (Ramashankar Sharma urf Nunu Babu) आसीन हैं. इस बार भी वह पिपरिया क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. तो फिर अध्यक्ष पद के लिए विकल्प, यानी नुनू बाबू की रुखसती की बात क्यों और कैसे उठ गयी? वह भी उनके ही ‘अराध्य नेता’ के मुंह से? राजनीति भी यह सब जान सुन हैरान है.

उठ रहे कई सवाल
हो सकता है, ललन सिंह ने ऐसा कुछ नहीं कहा हो. यह प्रतिद्वंद्वियों का कोई शिगूफा हो. मनोज मेहता (Manoj Mehta) पर तंज कसने के लिए ऐसा कहा गया हो. वैसे, यदि यह सच है तो इससे कई तरह के सवाल उठते हैं. पहला, रामाशंकर शर्मा उर्फ नुनू बाबू के प्रति ललन सिंह के मन मिज़ाज में खटास तो नहीं भर गयी है? इस सवाल को 2019 के संसदीय चुनाव के बाद के नुनू बाबू के कुछ अपच राजनीतिक आचरण से जोड़ कर देखा जा रहा है.

दूसरा, जिला परिषद के चुनाव में नुनू बाबू की जीत संदिग्ध तो नहीं दिख रही है? या फिर मनोज मेहता की ही जीत को संदिग्ध मान उनका मन बहलाने के लिए उन्हें अध्यक्ष बनवाने की बात तो नहीं कही जा रही थी? जो हो, यह मुद्दा अब खत्म हो गया है. जिला परिषद के चुनाव (निर्वाचन क्षेत्र संख्या-5 सूर्यगढ़ा) में ही मनोज मेहता औंधे मुंह गिर गये. जिस अमित सागर (Amit Sagar) ने 2011 में उनका खूंटा उखाड़ दिया था, एक चुनाव के बाद उन्होंने फिर धूल चटा दी.

कवादपुर ने खोद दी कब्र
अमित सागर 2016 में भी उम्मीदवार थे. मनोज मेहता (Manoj Mehta) विरोधी मतों में बिखराव की वजह से पिछड़ गये थे. इस बार मनोज मेहता के साथ ही वैसा कुछ हो गया. जिस कवादपुर (Kawadpur) पंचायत को उन्होंने अपना गढ़ बना रखा था उसी ने उनकी राजनीति की कब्र खोद दी. लम्बे समय से राजनीतिक और सामाजिक कार्यों से जुड़े रहने वाले बहुचर्चित इलाकाई नेता कमलेश्वरी महतो (Kamleshwari Mahto) ने कवादपुर पंचायत में 2 हजार 280 मत झटक कर मनोज मेहता को जिला परिषद का अध्यक्ष बनवाने की ललन सिंह की मंशा पर पानी फेर दिया.

कमलेश्वरी महतो को कुल 3 हजार 238 मत मिले. ऐसा माना जाता है कि वह मैदान में नहीं होते तो ये तमाम मत मनोज मेहता के खाते में ही जाते. अमित सागर की आसान जीत नहीं हो पाती. तो निवर्तमान उपाध्यक्ष मनोज मेहता का यह हाल रहा. निवर्तमान अध्यक्ष रामशंकर शर्मा उर्फ नुनू बाबू किस गति को प्राप्त करते हैं, इसे जानने-समझने के लिए 10 दिसम्बर 2021 तक इंतजार करना होगा.


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नुनू बाबू पर भी संकट
उनके क्षेत्र में 8 दिसम्बर को चुनाव होना है. मतों की गिनती 10 दिसम्बर को होगी. अन्य क्षेत्रों के परिणामों के रुख के मद्देनजर उनकी भी गति निवर्तमान उपाध्यक्ष मनोज मेहता और जिला परिषद की पूर्व अध्यक्ष सुदामा देवी जैसी हो जाये तो वह अचरज की कोई बात नहीं होगी. सुदामा देवी सूर्यगढा के राजद विधायक (RJD MLA) प्रहलाद यादव (Prahlad Yadav) की पत्नी हैं.

पतनेर के युवा समाजसेवी अमित कुमार उर्फ चीकू सिंह (Amit Kumar urf Chiku Singh) ने उन्हें भारी शिकस्त दी. सुदामा देवी (Sudama Devi) की हार से सांसद ललन सिंह को सदमा पहुंचा हो या नहीं, अमित कुमार उर्फ चीकू सिंह की जीत से झटका अवश्य लगा होगा, ऐसा राजनीति के स्थानीय विश्लेषकों का मानना है. अमित कुमार उर्फ चीकू सिंह राजनीति की ललन सिंह विरोधी धारा से जुड़े माने जाते हैं.

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