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तो क्या अब बहुरेंगे दिन छोटे मोदी के?

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विशेष प्रतिनिधि
01 दिसम्बर, 2022

PATNA : यह सवाल छोटे मोदी से जुड़ा हुआ है. इधर के दिनों में उनकी सक्रियता देखते ही बनती थी. पार्टी पर आफत आन पड़ी. सुशासन बाबू (Sushasan Babu) ने ऐसा झटका दिया कि पार्टी के बड़े-बड़े रणनीतिकार सदमे में जीने लगे. ऐसे बुरे वक्त में छोटे मोदी (Chote Modi) बिन बुलाये मेहमान की तरह घर में घुस कर बचाव का इंतजाम करने लगे. पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश आ गया. पुराने कार्यकर्ताओं का कहना रहा कि देश (Country) के स्तर पर जिस तरह बड़े मोदी पार्टी के तारणहार बने हुए हैं, बिहार (Bihar) में छोटे मोदी पार्टी को संकट से उबार लेंगे. मगर, ऐसे कार्यकर्ताओं को संशय भी हो रहा था कि क्या बड़े मोदी अपना दिल बड़ा करके छोटे मोदी को माफ कर देंगे. छोटे मोदी की गलती क्या है?

सुशासन बाबू में पीएम मेटेरियल
सबसे बड़ी गलती यह कि उन्होंने दस साल पहले सुशासन बाबू में पीएम मैटेरियल (PM Meterial) की खोज कर ली थी. यह ऐसा समय था, जब पूरे देश के भाजपाई बड़े मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए समां बांध रहे थे. बाद में वह प्रधानमंत्री (Prime Minister) बने. एक बार बने. दूसरी बार बने. तीसरी बार बनने की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन, छोटे मोदी की गलती को वह भूल नहीं पाये हैं. अगर भूले होते तो छोटे मोदी केंद्र में किसी बड़े मंत्रालय (Ministry) को संभाल रहे होते. बड़े मोदी की कार्यशैली को करीब से देखने वाले लोग बताते हैं कि उनके शब्दकोश में माफी नहीं है.

नीतीश कुमार और शाहनवाज हुसैन.

बिहार में भी हैं कई उदाहरण
देश की बात जाने दीजिये. अपने राज्य बिहार में ही कई उदाहरण हैं. मौसम विज्ञानी रामविलास पासवान (Rambilash Paswan) नहीं रहे. उन्होंने गोधरा (Godhara) कांड के बाद वाजपेयी मंत्रिमंडल को छोड़ दिया था. एनडीए (NDA) छोड़ कर यूपीए (UPA) में गये. पांच साल मंत्री रहे. नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की कैबिनेट में भी उन्हें रहने का मौका मिला. लेकिन, उन्हें पसंदीदा रेल मंत्रालय नहीं दिया गया. अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण विभाग दिया गया. उस पर भी अफसरों का कड़ा पहरा बिठा दिया गया. वह अब नहीं रहे, इसलिए उनकी विशद चर्चा वाजिब नहीं है. शहनवाज हुसैन (Shahnawaz Husain) जीवित हैं. उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihar Vajpayee) मंत्री-परिषद से त्यागपत्र नहीं दिया था. सिर्फ गोधरा कांड की आलोचना की थी. हाल देख ही रहे हैं. वनवास के बाद उनका पुनर्वास हुआ तो महज तीन साल के लिए विधान परिषद (Vidhan Parishad) की सदस्यता दी गयी. राज्य सरकार (State Government) में मंत्री बने तो वह सरकार ही चली गयी.


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कोई यकीन नहीं करेगा
कोई भी आदमी यकीन के साथ नहीं कह सकता है कि शहनवाज हुसैन (Shahnawaz Husain) को कुछ नया और बड़ा मिलने जा रहा है. वैसे, छोटे मोदी जी-जान से अभियान में लगे हुए हैं. देखिये समय के साथ बड़े मोदी में भी बदलाव आ जाये और छोटे मोदी को माफी मिल जाये. यह हुआ तो पार्टी (Party) को भी फायदा होगा. कोई लाख गाली दे, फिर भी इस सच से इनकार नहीं किया जा सकता है कि बिहार भाजपा (BJP) में छोटे मोदी का कोई विकल्प नहीं है. दो साल में उनके विकल्प के रूप में थोपे गये नेता (Leader) पार्टी को कहां ले गये, इसके बारे में अलग से कुछ कहने की जरूरत शायद नहीं है.

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