मुजफ्फरपुर : मिल जा सकता है उन्हें विकल्पहीनता का लाभ
राजकिशोर सिंह
04 सितम्बर 2023
Muzaffarpur : इधर के कुछ चुनावों पर नजर डालें, तो मुख्य मुकाबला सहनी समाज के उम्मीदवारों के बीच हुआ है. लाभ भाजपा को मिलता रहा है. 2024 में भी भाजपा (BJP) की उम्मीदवारी अजय निषाद को मिलेगी, यह करीब -करीब तय है. इसकी दो वजह है. एक तो क्षेत्र में उनका पुश्तैनी जनाधार है. उनके पिता पूर्व केन्द्रीय मंत्री कैप्टन जयनारायण निषाद इस क्षेत्र से सांसद निर्वाचित होते थे. अपने कार्यकाल में उन्होंने जनप्रियता की जो फसल बोयी थी, अजय निषाद (Ajay Nishad) उसी को काट- खा रहे हैं. अपना उनका कुछ नहीं है, ऐसा उनके करीब के लोग भी मानते हैं. उनकी उम्मीदवारी इस कारण भी लगभग पक्की मानी जा रही है कि स्थानीय स्तर पर भाजपा में विकल्पहीनता की स्थिति है.
वह भी हैं प्रयासरत
वैसे, मुजफ्फरपुर नगर निगम के पूर्व उपमहापौर विवेक कुमार प्रयास कर रहे हैं. वह वैश्य समाज की कलवार बिरादरी से हैं. उनके प्रयास को केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय (Nityanand Rai) की ताकत मिली हुई है. इसके बावजूद उम्मीद चमकदार नहीं दिखती है. आस तो पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा भी लगाये हुए हैं. क्षेत्र के सामाजिक समीकरण के मद्देनजर उन्हें निराशा के अलावा कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है, ऐसा भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है. भाजपा में अजय निषाद को तीसरी बार अवसर मिलता है, तो पूर्व के परिणामों को दृष्टिगत रखते हुए महागठबंधन के किस घटक दल के हिस्से में यह सीट जाती है और उम्मीदवार वह किसको बनाता है, यह देखना दिलचस्प होगा.
उठ रही है आवाज
बहरहाल, ऐसा माना जाता है कि पहले की तरह मल्लाह बनाम मल्लाह हुआ तो महागठबंधन को मायूसी के सिवा कुछ हासिल नहीं होगा. अन्य घटक दलों की बात छोड़ दें, राजद (RJD) के अंदर आवाज उठ रही है कि इस बार मल्लाह की जगह अतिपिछड़ा समाज की किसी दूसरी बिरादरी को मौका मिलना चाहिये. ऐसा होता है तो संघर्ष का बदला स्वरूप महागठबंधन की राह आसान बना दे सकता है. जातीय आंकड़ों की जानकारी रखने वालों की मानें, तो इस संसदीय क्षेत्र में सर्वाधिक आबादी नोनिया बिरादरी की है. मल्लाह बनाम मल्लाह में इसका स्वाभाविक झुकाव भाजपा की तरफ हो जाता है. इससे उसकी जीत आसान हो जाती है.
दावेदारी में है दम
नोनिया जाति से उम्मीदवार होने की स्थिति में राजनीतिक-सामाजिक समीकरण महागठबंधन के अनुकूल हो जा सकता है. वैसे में भाजपा की रणनीति धरी रह जा सकती है. नोनिया समाज में और कोई दावेदार हैं भी या नहीं, यह नहीं मालूम, पूर्व विधान पार्षद गणेश भारती (Ganesh Bharti) की दावेदारी में काफी दम दिखता है. नोनिया चेतना मंच के अध्यक्ष गणेश भारती की स्वजातीय समाज में तो अच्छी पैठ है ही, अन्य जातियों में भी स्वीकार्यता है. राजनीतिक चर्चाओं में भी लोग इसकी तस्दीक करते हैं.
निर्णायक संख्या है
गणेश भारती का जुड़ाव पहले जदयू (JDU) से था. उसी पार्टी के सौजन्य से 2006 से 2012 तक बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) के मनोनीत सदस्य रहे. कारण जो रहा हो, दोबारा अवसर नहीं मिल पाया. लंबी प्रतीक्षा के बाद 2020 के विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में वह बरुराज से जदयू में दावेदार बन गये. जदयू (JDU) तब भाजपा के साथ राजग में था. बरुराज की सीट भाजपा के हिस्से में गयी और गणेश भारती जदयू छोड़ राजद में शामिल हो गये. बरुराज में नोनिया बिरादरी के मतों की निर्णायक संख्या है.
ये भी पढें :
मुजफ्फरपुर : सहनी बनाम सहनी से बन जायेगी राह आसान !
मंत्रियों को बेचैन कर रखा है राजा की सवारी ने !
इन्हीं के लिए लिखा गया था बाप बड़ा न भैया…!
दो आदमी के फेर में फंस गये हैं नीतीश कुमार !
उम्मीदवारी की चाहत
इसी समाज के पूर्व विधान पार्षद बालदेव महतो इस क्षेत्र से दो बार चुनाव लड़े थे. जीत कभी नहीं पाये, पर दोनों ही बार उन्हें अच्छी संख्या में मत मिले थे. गणेश भारती का कहना है कि 2020 में बरुराज से उन्हें जदयू की उम्मीदवारी मिलती तो आज वह विधायक के रूप में फहरते रहते. उस चुनाव में जदयू नेतृत्व ने नोनिया समाज के हितों की अनदेखी कर दी. गणेश भारती अभी राजद में हैं और मुजफ्फरपुर संसदीय क्षेत्र (Muzaffarpur Parliamentary Constituency) से उसकी उम्मीदवारी की बड़ी चाहत रखते हैं.उनका मानना है कि अवसर मिला तो, इस संसदीय क्षेत्र का इतिहास बदल दे सकते हैं.
कांग्रेस भी दावेदार
महागठबंधन में यह सीट किस घटक दल के कोटे में जायेगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है. चर्चा है कि कांग्रेस ने भी इस पर दावा ठोक रखा है. 2014 में जदयू उम्मीदवार के रूप में मुंह की खा गये कांग्रेस (Congress) विधायक बिजेन्द्र चौधरी उसके संभावित उम्मीदवार के तौर पर समां बांध रहे हैं. विश्लेषकों की समझ में वैश्य समाज की कलवार बिरादरी के बिजेन्द्र चौधरी की उम्मीदवारी भाजपा के लिए चुनौती शायद ही बन पायेगी. इसलिए कि बिजेन्द्र चौधरी का शहरी क्षेत्र में जनाधार खूब मजबूत है, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वीकार्यता अपेक्षाकृम कम है. जदयू के दावेदार के तौर पर प्रदेश महासचिव रंजीत सहनी (Ranjit Sahni) का नाम लिया जा रहा है. किस्मत किसकी चमकती है, यह जानने-समझने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा.
#Tapmanlive