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पूछता है सुशासन, कहां चली गयी उनकी ताकत?

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विशेष प्रतिनिधि
15 सितम्बर 2023

Patna : अभी वाले पुलिस महानिदेशक (Director General of Police) को लंबे समय से जानने वाले लोग आश्चर्य प्रकट कर रहे हैं कि इनकी ताकत कहां चली गयी! वह अपने जमाने के सर्वाधिक कड़क और सफल पुलिस अधीक्षक रहे हैं. तथाकथित कुशासन (Bad Governance) के दिनों में भी उन्होंने कानून का शासन कायम किया था. वह जमाना भी था, जब अपराधी उनके नाम से कांपते थे. नजर टेढ़ी होने की पुष्ट-अपुष्ट सूचना मिलते ही बड़े से बड़े अपराधी शहर छोड़ने में ही अपनी भलाई समझते थे. वह अधिकारी जब पुलिस की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठा तो अपराधियों का मनोबल सातवें आसमान पर पहुंच गया लगता है. सुशासन में कुशासन का भान होने लगा है.

पहल यह उनकी थी
आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? कारण जान लीजिये. पहले यह जान लीजिये कि सुशासन बाबू के दरबार में अधिकारियों का एक समूह है, जो ‘संगठित गिरोह’ की तरह काम करता है. उसके प्रधान हैं एक अवकाशप्राप्त आईएएस (IAS) अधिकारी. बिगाड़ यही से शुरू हुआ. प्रधान अधिकारी किसी और को पुलिस के शीर्ष पद पर पसंद करते थे. इधर सुप्रीमो का कहना था कि ला एंड आर्डर एकदम से टंच रहना चाहिए. उन्होंने वर्तमान पुलिस अधिकारी का नाम शीर्ष पद के लिए प्रस्तावित किया. बड़े भाई की बात, छोटे ने झट से मान ली. उसी दिन प्रधानजी ने संकल्प ग्रहण किया-बन तो गये हो, देखते हैं, चला कैसे लेते हो.


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चुन‌- चुन कर तैनात कराया
परिपाटी यह रही है कि जिलों के पुलिस अधीक्षकों की तैनाती में शीर्ष अधिकारी की सलाह ली जाती है. इनके मामले में यह नहीं हुआ. प्रधानजी ने चुन – चुन कर अपने लोगों को जिलों में तैनात करवाया. क्योंकि अधिसंख्य पुलिस अधीक्षक लगा कर जिलों में गये थे, इसलिए थानेदारों की पोस्टिंग (Posting) उगाही के आधार पर की गयी. थानेदार को भी क्षति की भरपाई करनी थी, सो अपराधियों (Criminals) को खुली छूट दे दी गयी. हालत इतनी खराब हो गयी कि कई पुलिस अधीक्षक अपने शीर्ष अधिकारी का फोन तक नहीं उठाते हैं. अधिकारी ने कई बार सुशासन बाबू से आमने – सामने मिलकर बात करने की कोशिश की.

सिर मुड़ाते ओले पड़ गये
प्रधानजी ने हर बार मुलाकात का समय टलवा दिया. मुजफ्फरपुर शाही हत्याकांड (Muzaffarpur Shahi Massacre) के बाद दोनों की मुलाकात भी हुई तो स्थिति तनापपूर्ण और अनियंत्रित हो चुकी थी. उसी बैठक में शीर्ष पदधारक को कह दिया गया कि मन नहीं लग रहा है तो दिल्ली का रुख कीजिए. बेचारे दिल्ली (Delhi) का रूख कर चुके हैं. यह तो सुप्रीमो का आग्रह है कि अबतक डटे हुए हैं. प्रधानजी ने पहले ही दिन सुशासन बाबू को भड़का दिया था. उसी दिन जब पदभार ग्रहण करतेे ही ये डिप्टी सीएम (Deputy CM) से मिलने चले गये थे.

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