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निचुड़े फल से निचोड़ने की कला कोई उनसे‌ सीखे…!

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 विशेष प्रतिनिधि
11 जुलाई 2023
Patna : किसी ने कहा हो, मगर पूरी तरह सच कह दिया कि मेहनत का फल मीठा होता है. आदमी मेहनत करे तो निचोड़े हुए फल में से भी काम लायक रस निकाल सकता है. चंद लोग जिन्हें मेहनत पर भरोसा नहीं है, वह एक बड़े आदमी की मेहनत और निचुड़े हुए फल से रस खींचने की कला देख कर चकित हैं. एक दूसरे से बाजी लगा चुके कई लोग हार मान बैठ गये कि भाई सचमुच मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता है. बस, आदमी के भीतर दृढ़ इच्छा शक्ति (Strong Willpower) होनी चाहिए. बात सही है. निकालने वाला तो बालू से तेल निकालता रहा है.

गुंजाइश कम थी
आप सबको याद होगा कि साहब का इस घर से दूसरे घर में तबादला (Transfer) हो गया था. तबादले की खबर से बेचारे सन्नाटे में आ गए थे. संकट यह कि उन्होंने कई लोगों से मलाईदार पोस्ट के लिए पेशगी ले रखी थी। एक से दो करोड़ के बीच सौदा पटा था. लेनेवाले साहब तो हलकान थे ही देने वाले भी कम परेशान नहीं थे. इस धंधे में लिया हुआ माल वापस करने का रिवाज नहीं है. इसलिए लेनेवाले से अधिक देने वाले परेशान थे. लेनेवाले की परेशानी यह कि उनका जिस दूसरे घर में तबादला हुआ था, वहां फल यानी माल बटोरने की गुंजाइश बेहद कम थी.

बाछें खिल गयीं
खैर, रस निकालने के लिए उन्होंने अपने नियोजक से तीन – चार दिन की छुट्टी मांगी. वह आसानी से मिल गयी‌. छुट्टी के दिनों में ही उन्होंने वसूली का लक्ष्य हासिल कर लिया. काम कराने वालों का काम भी कर दिया. आगे का किस्सा में पता चलेगा कि किस तरह उस घर में आए दूसरे साहब ने निचुड़े हुए फल से रस खींच लिया. उन्होंने आते ही ऐलान किया कि वह जो भी काम करेंगे, ईमानदारी से करेंगे .यह ऐलान सुनते ही बेईमानों की बांछें खिल गयीं कि बंदा काम का आदमी है. लेगा और खूब लेगा.


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मरता क्या नहीं करता
साश्हरब ने भी ईमानदारी दिखाने में देरी नहीं की. पहले वाले साहब ने जिन पदधारकों की पोस्टिंग की थी, उनमें से कुछ की पोस्टिंग (Posting) उन्होने रद कर दी. कुछ को काम करने से रोक दिया. जिन्हें काम करने से रोका गया, उनतक संदेश (Message) दिया गया कि जल्द से जल्द मतलब फौरन से पेश्तर आकर बात करें. बेचारों की टोली तुरंत घर में पहुंची. सौदा हुआ. कहा गया कि जाने वाले को जितना दिये थे, उतना आनेवाले को दे दो, तभी पोस्टिंग बरकरार रहेगी. मरता क्या न करता. बेचारों ने उनकी मांग पूरी कर दी. साहब खुश हैं. एक मुर्गे को दो बार जिबह करने की कला तो उन्हीं के लोग कर सकते हैं, जिनके बारे में कहा जाता है…मुमकिन है.

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