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मुजफ्फरपुर नगर निगम में हो रहा गजब खेल!

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अरविन्द कुमार झा
24 अक्तूबर, 2021

MUZAFFARPUR. नगर निगम की राजनीति में कथित रूप से जबरन टांग घुसेड़ने वाले कांग्रेस विधायक बिजेन्द्र चौधरी (Bijendra Chaudhary) को इस मामले में थोड़े ही अंतराल पर दो जबर्दस्त झटका झेलना पड़ गया. पहले तो ‘अपने महापौर’ के जरिये नगर निगम को हांकने की मंशा पर राज्य निर्वाचन आयोग के आदेशानुसार नगर विकास विभाग ने तत्काल पानी फेर दिया. अविश्वास प्रस्ताव से अपदस्थ महापौर सुरेश कुमार (Suresh Kumar) को पद पर बने रहने का निर्देश दे उनकी राजनीति को कुंद कर दिया.

अचानक लगे इस झटके से वह उबर पाते कि उनके कथित समर्थक निगम पार्षद राकेश कुमार पिंटू (Rakesh Kumar Pintu) शराबबंदी कानून की गिरफ्त में आ गये. ऐसा कहा जाता है कि बिजेन्द्र चौधरी ने महापौर पद के चुनाव में इन्हीं राकेश कुमार पिन्टू पर दांव खेलने की रणनीति बना रखी है. लोग बताते हैं कि उपमहापौर मानमर्दन शुक्ल उर्फ ललन शुक्ल भी इस रणनीति के हिस्सा हैं.


सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब महापौर का पद 24 जुलाई 2021 से रिक्त है तो फिर अविश्वास प्रस्ताव किसके खिलाफ पेश होगा और चर्चा क्या होगी?


विवाह भवन में शराबखोरी
उनके ‘मोहरे’ के शराबबंदी कानून की गिरफ्त में आने की कहानी कुछ यूं है. आर्थिक रूप से संपन्न व्यवसायी राकेश कुमार पिन्टू का शहर के लक्ष्मी चौक (ब्रह्मपुरा) में ‘पारस महल’ के नाम से विवाह भवन है. कुछ दिन पूर्व पुलिस मुख्यालय को गुप्त सूचना मिली कि शराबबंदी कानून की धज्जियां उड़ा इस विवाह भवन में नियमित शराबखोरी होती है.

इसको थोड़ा स्पष्ट करें तो शराब के शौकीनों के लिए अघोषित बार की तरह व्यवस्था की जाती है. पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर ब्रह्मपुरा थाना ने 16 अक्तूबर 2021 की रात में विवाह भवन (Vivah Bhawan) पर छापा मारा. एक कमरे से छह गिलासों के साथ शराब, उसके साथ ली जाने वाली खाद्य सामग्री एवं पेय पदार्थ की बरामदगी हुई.

छापेमारी के बाद सीलबंद विवाह भवन.

थी शराब की बड़ी खेप
जानकारों के मुताबिक वहां शराब की बड़ी खेप रखी हुई थी. छापेमारी की भनक पर उसे हटा दिया गया. ऐसी भनक थाने से ही मिली. ऐसा कहा जाता है कि छापामारी से पहले शराबखोरी का एक दौर पूरा हो चुका था. दूसरा शुरू होने वाला था. इसी बीच पुलिस पहुंच गयी. उस बैठकी में शहर के कई चर्चित चेहरों के जमने की बात भी कही जाती है.

नगर निगम की राजनीति
अब मुजफ्फरपुर नगर निगम की राजनीति की बात. ज्ञातव्य है कि सुरेश कुमार (Suresh Kumar) को महापौर के पद पर आसीन कराने में विधायक बिजेन्द्र चौधरी और मानमर्दन शुक्ल उर्फ ललन शुक्ल की अहम भूमिका थी. सामान्य समझ है कि स्वार्थ सधने में कठिनाई होने लगी तब 24 जुलाई 2021 को अविश्वास प्रस्ताव के जरिये उन्हें पदमुक्त करा दिया गया. लेकिन, राज्य निर्वाचन आयोग ने महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कराने की प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण माना.

आयोग के मुताबिक इसमें वैधानिक प्रावधानों का पालन नहीं किया गया. इस निर्णय के आधार पर नगर विकास विभाग ने सुरेश कुमार को महापौर पद पर बरकरार रखा. पर, जिलाधिकारी को इस आशय का कोई पत्र नहीं मिलने की वजह से सुरेश कुमार महापौर पद पर फिर से योगदान नहीं कर पाये हैं यानी महापौर का पद रिक्त है.


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किसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव?
नगर विकास विभाग के निर्देश में दोबारा अविश्वास प्रस्ताव लाने का विकल्प है. पर, इस विकल्प का उपयोग तभी संभव है जब सुरेश कुमार फिर से महापौर (Mayor) पद पर आसीन हो जाते. जब महापौर का पद ही रिक्त है तब फिर अविश्वास प्रस्ताव किसके खिलाफ? लेकिन, विरोधी निगम पार्षद अविश्वास प्रस्ताव लाने पर आमादा हैं.

49 सदस्यीय मुजफ्फरपुर नगर निगम के 25 निगम पार्षदों ने नगर आयुक्त को अविश्वास प्रस्ताव सौंप दिया है. दिलचस्प बात यह कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तारीख भी उन्हीं लोगों ने तय कर दी है. नगर आयुक्त ने उस पर अपनी सहमति भी दे दी है. उसके अनुसार अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और मत विभाजन 30 अक्तूबर 2021 को होगा.

आरोपित पर ही खेलेंगे दांव!
लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब महापौर का पद 24 जुलाई 2021 से रिक्त है तो फिर अविश्वास प्रस्ताव किसके खिलाफ पेश होगा और चर्चा क्या होगी? दिलचस्प बात यह भी कि नये महापौर के निर्वाचन की नौबत आयी तो विधायक बिजेन्द्र चौधरी समर्थक निगम पार्षद शराबबंदी कानून के उल्लंघन के आरोपित राकेश कुमार पिन्टू पर ही दांव खेलने का निर्णय कर रखा है.

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