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प्रदेश भाजपा कार्यालय : देखे हैं इसने राजनीति के कई रंग व ढंग

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विभेष त्रिवेदी
02 सितम्बर 2023

Patna : प्रदेश भाजपा (BJP) कार्यालय ने विगत तीन दशकों में कई रंग देखे हैं. कई ढंग देखे हैं. कई संगठन महामंत्रियों को देखा. कई प्रदेश अध्यक्षों को बहुत करीब से समझा. कैलाशपति मिश्र को देखा. हृदय नारायण, हरेंद्र पाण्डेय और नागेंद्र नाथ की कार्यशैली देखी. सुशील कुमार मोदी, नंदकिशोर यादव, राधामोहन सिंह, गोपाल नारायण सिंह और डा. सी पी ठाकुर को परखा. चार कद्दावर चेहरे थे. चारो आवास पर रहें या कार्यालय में, वही सुप्रीम पावर होते थे. वही तय करते थे कि किस कद्दावर नेता को औकात में रखने के लिए उसी की जाति से किस भरोसेमंद (Reliable) का कद बढ़ाना है. बेहाथ हो रहे किस नेता को बीच सड़क पर लावारिस (Unclaimed) छोड़ना है. उनकी संयुक्त रणनीति पर मुहर लगाने पर प्रायः संगठन महामंत्री मजबूर होते थे.

चर्चा चलाते थे और..
चर्चा किसके समय में क्या देखा, इसे राज ही रहने दीजिये. बगैर नाम जाने इतना समझिये कि किसी का व्यक्तित्व बड़ा था तो किसी की जरूरतें. परिसर के दरो दीवार, कुर्सियों और उनपर बैठने वालों ने क्या-क्या देखा, उसकी कहानी सुनकर आप हैरत में पड़ जायेंगे. दांतों तले उंगलियां दबायेंगे. कभी किसी मोटे आसामी से फरमाइश नहीं की गयी. नेताजी तो सिर्फ अपने कक्ष में चर्चा चलाते थे. ज्योतिष शास्त्री (Astrologer) ने मुझे 11 रत्ती का मूंगा धारण करने की सलाह दी है. ओरिजिनल पन्ना कहां मिल जाता है? उस जिला में हमारा बहुत अच्छा स्वागत हुआ. मेरे लिए दिल्ली से कुर्ता-पायजामा और बंडी मंगवाया गया था. अब पटना की सड़कों पर बड़ी गाड़ी से निकलना मुश्किल है. एक छोटी गाड़ी लेने की सोच रहा हूं.

अध्यक्ष से भी बड़ी ताकत
इसके आगे कुछ बोलने की जरूरत नहीं होती थी. यहां आने वाले खुद समझदार होते थे. भाजपा संगठन में अध्यक्ष से बड़ी ताकत संगठन महामंत्री की रही है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपने अनुशासित और मजे हुए संगठनकर्ता को संगठन महामंत्री बनाता रहा है. आरंभिक आठ-दस महीने में संगठन महामंत्री की चुस्ती, अनुशासन, निर्पेक्षता देखने लायक होती थी. उसके बाद विधायक और प्रदेश पदाधिकारी ही नहीं, जिलों के अध्यक्ष व महामंत्री तक को भी उनकी पसंद, जरूरतों और इच्छाओं की जानकारी हो जाती थी.


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बंद हो जाता है सात बजे
अब शाम 7ः00 बजे कैंपस के सभी कक्ष और कार्यालय निश्चित रूप से बंद हो जाते हैं. ये वही कक्ष हैं, जहां पहले रात के 9ः00 बजे तक ठहाके गूंजते थे. अब डर है कि संगठन महामंत्री किसी भी कक्ष में औचक निरीक्षण (Surprise Inspection) कर सकते हैं. उन्होंने आरंभ में ही मंच-मोर्चा के कार्यालय में प्रवेश कर सहजता से पूछ लिया- ‘क्या आज कुछ विशेष काम बाकी रह गया है? आप लोग अब तक घर नहीं गये हैं?’ उसके बाद किसी पदाधिकारी को कुछ कहने की जरूरत नहीं पड़ी. किसी तरह की बैठक करनी हो या भूंजा-समोसा खाना हो, तमाम औपचारिकताएं सात बजे से पहले पूरी कर ली जा रही हैं. कार्यालय में अनावश्यक अड्डेबाजी बंद हो चुकी है.

महिला सशक्तीकरण पर बल
संगठन महामंत्री की यह कुर्सी किसी क्षेत्रीय क्षत्रप, उसके युवराज, किसी खानदान या पार्टी को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बना चुके मालिक के प्रति जवाबदेह नहीं है. अपवादों को छोड़ दें तो संगठन महामंत्री राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद, राज्यपाल या मंत्री की कुर्सी पाने की कतार में खड़ा नहीं है. इन्हें तो संगठन को अगले चुनाव के लिए लामबंद करना है. संगठन को बूथों तक पहुंचाना है और हर दरवाजे पर दस्तक देना है. खासकर मतदान का प्रतिशत बढ़ाने वाली महिलाओं में भाजपा के प्रति विश्वास पैदा करना है. संगठन में महिला सशक्तीकरण (Women Empowerment) पर बल दिया जा रहा है. संगठन महामंत्री अधिक से अधिक महिलाओं को संगठन में सक्रिय करने पर बल दे रहे हैं. वे महिला पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से सहजता से मिलते हैं, लेकिन महिलाओं से एक अघोषित दूरी भी रखते हैं.

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