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ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय : यह फर्जीवाड़ा नहीं तो और क्या है?

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विजयशंकर पांडेय
07 सितम्बर 2023

Darbhanga : एम ए कुमार… किसी व्यक्ति का नाम हो सकता है. पर, यहां जिस एम ए कुमार की बात की जा रही है, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (Lalit Narayan Mithila University) के निवर्तमान कुलसचिव डा. मुश्ताक अहमद के मुताबिक वह कोई व्यक्ति नहीं, कम्पनी है. 127, साकेत विहार, खुर्रमनगर, लखनऊ उसका पता- ठिकाना है. उपलब्ध जानकारी के अनुसार मगध विश्वविद्यालय (Magadh University) के बहुचर्चित फर्जीवाड़े की जांच के सिलसिले में बिहार सरकार की विशेष निगरानी इकाई ने बहुत हाथ- पांव चलाये , उक्त पते पर एम ए कुमार का किसी भी रूप में कोई अस्तित्व नहीं मिला. इस अस्तित्वविहीनता (Non-existence) की पुष्टि विशेष निगरानी इकाई के अपर पुलिस महानिदेशक (Additional DGP) नैयर हसनैन खां (Nayyar Hasnain Khan) ने भी की थी.

अनुमति-पत्र में है जिक्र
14 मार्च 2023 को मगध विश्वविद्यालय में फर्जीबाड़े के मामले में तत्कालीन कुलपति डा. राजेन्द्र प्रसाद सिंह एवं 32 अन्य के खिलाफ अभियोजन के लिए उन्होंने जो अनुमति-पत्र भेजा था उसमें इसका जिक्र है. सीधे तौर पर नहीं, थोड़ा घूमा कर. उसमें कहा गया है कि पंजाब नेशनल बैंक की लखनऊ (Lucknow) की संबंधित शाखा के प्रबंधक जे पी सिंह ने अपने बैंक में जिस एम ए कुमार का खाता खोला, उसका कोई अस्तित्व नहीं है. बैंक के शाखा प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई करने की बात भी कही गयी है. पांच माह बाद ही सही, राज्यपाल सचिवालय ने 01 अगस्त 2023 को अभियोजन की अनुमति दी.

आपूर्त्ति में हुआ खूब खेल
यहां यह जानकर हैरानी होगी कि उसी ‘अस्तित्वविहीन एम ए कुमार’ ने न सिर्फ मगध विश्वविद्यालय को, बल्कि बिहार (Bihar) के अन्य कुछ विश्वविद्यालयों को भी उस कालखंड में परीक्षा विभाग से संबंधित आवश्यक सामग्री की आपूर्ति की थी. पांच-दस लाख की नहीं, करोड़ों की सामग्री! ‘अस्तित्वविहीन एमए कुमार’ द्वारा की गयी इस ‘आपूर्ति’ में क्या सब खेल हुआ होगा, यह बताने की शायद जरूरत नहीं. लेकिन, यह जरूर जान लीजिये कि ऐसे ही फर्जीवाड़े में मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. राजेन्द्र प्रसाद सिंह (Dr. Rajendra Prasad Singh) को जेल जाना पड़ा है. आने वाले दिनों में अन्य कुछ वर्तमान -निवर्तमान कुलपतियों की ऐसी ही गति हो, तो वह चौंकने – चौंकाने वाली कोई बात नहीं होगी.


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साढ़े पांच करोड़ से अधिक…
बहरहाल, पहला नम्बर किसका आता है, यह देखना दिलचस्प होगा. एम ए कुमार ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा में भी ‘आपूर्ति’ की थी. भुगतान के रूप में विश्वविद्यालय ने पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank) के उक्त खाते में ही रकम भेजी थी. 12 मार्च 2021 को 04 करोड़ 83 लाख 70 हजार 776 एवं 18 लाख 32 हजार 992 और 30 मार्च 2021 को 53 लाख 09 हजार 551 यानी कुल 05 करोड़ 55 लाख 13 हजार 319 रुपये. एम ए कुमार के संदर्भ में निगरानी विशेष इकाई (Surveillance Special Unit) के उसके अस्तित्वविहीन होने के खुलासे को आधार बना आरटीआई (RTI) कार्यकर्ता रोहित कुमार ने 20 मार्च 2023 को राज्यपाल सचिवालय को पत्र लिखा.

फर्जी नहीं मानता विश्वविद्यालय
रोहित कुमार के पत्र में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की ओर से एम ए कुमार को किये गये भुगतान में घपलेबाजी की आशंका जतायी. इसमें विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र प्रताप सिंह, तत्कालीन कुलसचिव डा. मुश्ताक अहमद, वित्त परामर्शी कैलाश राम और वित्त पदाधिकारी फजले रहमान की भूमिका रहने का आरोप मढ़ा है. दूसरी तरफ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय इस भुगतान को फर्जी नहीं मानता. तर्क यह कि संबंधित विपत्र के मद में भुगतान किया गया इसलिए वह फर्जी नहीं है. उसका तर्क जो हो, एम ए कुमार (M A Kumar) के अस्तित्व की बाबत विशेष निगरानी इकाई का निष्कर्ष यदि सही है, तो जिस विपत्र की बात विश्वविद्यालय कर रहा है, वह फर्जी है. और जब विपत्र फर्जी है तो उसके भुगतान को फर्जी नहीं तो और क्या माना जायेगा?

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