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पहले बेटों से टकरायेंगे भाजपा के ये दो बुजुर्ग सांसद!

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विशेष प्रतिनिधि
20 सितम्बर 2023

Patna : पिता-पुत्र का रिश्ता बहुत प्यारा होता है. यह आम गृहस्थ जीवन के लिए कहा जा सकता है. राजनीति (Politics) में भी दोनों के बीच प्यार का रिश्ता रहता है. पर, उसकी कुछ शर्तें होती हैं. शर्त यह कि पिता समय रहते अपने पुत्र के लिए रास्ता छोड़़ दे. अगर कूबत हो तो अपना रास्ता छोड़े बिना पुत्र के संसद या विधानसभा में पहुंचने के लिए समानांतर रास्ता बना दे. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Jitanram Manjhi) ने यही किया. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद (Lalu Prasad) ने यही किया. सिर्फ पुत्रों के लिए ही नहीं, पूरे परिवार के लिए रास्ता बना दिया. डबल लेन, फोर लेन और सिक्स लेन भी. दोनों की अपनी पार्टी है. चाहें जितना टिकट देकर चुनाव लड़वा दें.

रास्ता दिखाया और बढ़ा दिया
भाजपा (BJP) में डा. सीपी ठाकुर (Dr. CP Thakur) पुत्र के लिए अलग रास्ता नहीं बना पाये. खुद रास्ते से अलग हो गये. बेटा विवेक ठाकुर से कहा कि जा, सीधे पार्लियामेंट चला जा. घर में शांति छा गयी. पिता-पुत्र दोनों खुश हैं. भाजपा के ही आरके सिन्हा (RK Sinha) ने भी डा. सीपी ठाकुर का फंडा अपनाया. बेटे रितुराज सिन्हा को रास्ता दिखाया और बढ़ा भी दिया. होनहार है. करीबी लोग कहते हैं कि आरके सिन्हा का सपना पूरा करेगा. आरके सिन्हा का सपना कोई लंबा-चौड़ा नहीं था. राज्यसभा (Rajya Sabha) के सदस्य तो रहे ही, एक बार, सिर्फ एक बार लोकसभा (Lok Sabha) में जाने का सपना था. वह पूरा नहीं हो सका. बेटा रितुराज सिन्हा‌ उनका सपना पूरा कर दे तो बड़ी बात होगी.


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जानिये व्यथा- कथा
ये सब सुखी पिता हैं. अब दो दूसरे सांसदों की व्यथा – कथा सुनिये. ये दोनों भी भाजपा के हैं. दोनोंं का क्षेत्र चावल के कटोरे में पड़ता है. इनमेंएक स्थायी भाजपाई हैं. दूसरे वाले मौसमी हैं. कई दलों का भ्रमण करते हुए भाजपा में आकर रम गये हैं. हां, अब इन्हें भी पक्का भाजपाई कह सकते हैं. अब व्यथा -कथा सुनिये. दोनों सांसदों ने अपने पुत्रों से वादा किया था कि 2019 में हम चुनाव मैदान से हट जायेंगे . आप चुनाव लड़ लेना. चुनाव का समय आया. बापों की नीयत बदल गयी. कहा कि अंतिम चांस लेने दो. अगली बार की गारंटी. हम चुनाव मैदान से हटेंगे. आप मैदान में डट जाना. बेटों ने पिता के वादे पर भरोसा किया.

देखिये, आगे क्या होता है?
अब बेटों को पता चल रहा है कि पिता ने उन्हें पुत्र का सम्मान नहीं दिया. आम जनता की तरह कभी नहीं पूरा होने वाला आश्वासन (Assurance) दे दिया. क्यों? इसलिए कि दोनों लोकसभा के अगले चुनाव की तैयारी में जुट गये हैं. बेटों को कहा जा रहा है कि लोकसभा के अगले साल विधानसभा का चुनाव होना है. उसी की तैयारी करो. बेटों ने भी अल्टीमेटम (Ultimatum) दे दिया है-लड़ेंगे तो 2024 में ही. देखिए, आगे क्या होता है?

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