साहेबगंज-पारू : क्या हुआ था अमर भगत हत्याकांड में!
देवव्रत राय
21 जून 2023
Muzaffarpur : साहेबगंज-पारू और देवरिया (Sahebganj-Paru and Deoria), मुजफ्फरपुर जिले का पश्चिमी हिस्सा है. दियारा क्षेत्र कहलाता है. स्थापित सच है कि दियारा और अपराध में गहरा संबध रहता है. यह दियारा अपवाद नहीं है. अपराध की खेती यहां भी होती है. ‘सामाजिक न्याय’ के दौर में यह क्षेत्र कुछ अधिक उपजाऊ हो गया था. इस इलाके का 15 वर्षों का वह कालखंड ‘जंगलराज’ का एक खौफनाक अध्याय था. हालांकि, बाद का ‘सुशासन’ भी ज्यादा सुकूनदायक नहीं रहा. वारदातें कम हुईं, परन्तु खौफ मुकम्म्ल रूप में खत्म नहीं हुआ . उसका स्वरूप थोड़ा बदल अवश्य गया है. जातीय नजरिये से देखें, तो बिल्कुल आमने-सामने की मोर्चाबंदी है.
यादव बनाम क्षत्रिय!
पहले एक तरफ यादव समाज के रामविचार राय (Ramvichar Rai) थे. उनके निधन के बाद मोर्चा तुलसी राय (Tulsi Rai) ने संभाल रखा है. दूसरी ओर क्षत्रिय समाज के भाजपा विधायक राजू कुमार सिंह राजू (Raju Kumar Singh Raju) हैं. इस मोर्चाबंदी में फंसने-फंसाने का भी खूब खेल होता है. वर्तमान में राजद नेता तुलसी राय के कथित अपहरण को लेकर बबंडर खड़ा है. तकरीबन सात साल पहले ऐसा ही कुछ तूफान खड़ा हो गया था. पूर्व मुखिया अमरेन्द्र कुमार उर्फ अमर भगत (Ex Mukhiya Amarendra Kumar alias Amar Bhagat) की हत्या को लेकर. जगदीशपुर धरमू पंचायत के 36 वर्षीय पूर्व मुखिया अमरेन्द्र कुमार उर्फ अमर भगत की16 जनवरी 2017 को साढ़े दस बजे दिन में पारू बाजार में हत्या कर दी गयी.
तुलसी राय से थी निकटता
आरोप पूर्व विधायक राजू कुमार सिंह राजू और उनके समर्थक माने जानेवाले निजामुद्दीन उर्फ छोटे मुखिया पर लगा, दोनों को नामजद भी किया गया. हत्या का कारण पारू प्रखंड मुखिया संघ के अध्यक्ष का चुनाव और जमीन का विवाद बताया गया. अमर भगत का जुड़ाव कुख्यात तुलसी राय से था. अप्रत्यक्ष रूप से कृषि मंत्री रामविचार राय से भी. उस दिन पारू प्रखंड मुखिया संघ के अध्यक्ष के कार्यालय के उद्घाटन के बाद अमरेन्द्र कुमार उर्फ अमर भगत अपने समर्थक मुखियों तथा अन्य लोगों के साथ बातचीत कर रहे थे. पूर्व जिला पार्षद तुलसी राय भी वहां मौजूद थे. इसी बीच अमर भगत के मोबाइल फोन पर किसी का कॉल आया और वह वहां से निकल गये. कॉल करने वाले से मुलाकात करने मोटर साइकिल से जा रहे थे कि प्रखंड कार्यालय से कुछ आगे उन्हें गोली मार दी गयी. घटनास्थल पर ही उनकी मृत्यु हो गयी.
ये भी पढ़ें :
मांझी प्रकरण : यह अभिमान ही है उनका, और कुछ नहीं…!
बेलागंज का मामला : इतने बेबस क्यों हो गये हैं सरकार!
कॉल आया और निकल गये
अमर भगत के मोबाइल फोन पर वह कॉल किसका था, मालूम नहीं. वैसे, चर्चा हुई थी कि कॉल पारू की पूर्व प्रखंड प्रमुख के पुत्र का था. पूर्व प्रखंड प्रमुख राजू कुमार सिंह राजू की समर्थक मानी जाती हैं. पारू प्रखंड मुखिया संघ के अध्यक्ष के चुनाव में असगर अली एवं निजामुद्दीन उर्फ छोटे मुखिया के बीच भिड़ंत हुई थी. चोचाहीं के मुखिया असगर अली के लिए अमर भगत जोर लगाये हुए थे. कथित रूप से उन्हें दिवंगत कृषि मंत्री रामविचार राय और तुलसी राय की ताकत मिली हुई थी. दूसरी तरफ जयमल डुमरी पंचायत के मुखिया निजामुद्दीन उर्फ छोटे मुखिया के लिए राजू कुमार सिंह राजू जोर लगाये हुए थे.
इसी खुन्नस में हुई हत्या
स्वाभाविक रूप से तुलसी राय के मुख्य प्रतिद्वंद्वी अजय राय का उन्हें साथ मिला हुआ था. जीत असगर अली की हुई. तात्कालिक तौर पर अमर भगत के परिजनों, सियासी संरक्षकों एवं समर्थक मुखियों का कहना रहा कि इसी खुन्नस में हत्या हुई. राजू कुमार सिंह राजू इससे साफ इनकार करते रहे. उनका कहना रहा कि अमर भगत से बहुत ही अच्छा संबंध था. हत्या की बात दूर, ऐसा वह सोच भी नहीं सकते. हत्या के दिन वह क्षेत्र में नहीं थे. पुलिस की जांच में राजू कुमार सिंह राजू और निजामुद्दीन उर्फ छोटे मुखिया (Nizamuddin Urf Chhote Mukhiya) के खिलाफ आरोप पुष्ट नहीं हो पाये. संलिप्तता तुलसी राय की पायी गयी.
#tapmanlive