तापमान लाइव

ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल

साहेबगंज-पारू : राजनीति ने ले ली उनकी जान…!

शेयर करें:

देवव्रत राय
22 जून 2023

Muzaffarpur : अमरेन्द्र कुमार उर्फ अमर भगत (Amarendra Kumar Urf Amar Bhagat) की हत्या के मामले में राजू कुमार सिंह राजू (Raju Kumar Singh Raju) को इस आधार पर भी नामजद किया गया था कि बड़ा दाउद (Bada Dau) गांव के समीप राजकीय उच्च पथ संख्या 74 के किनारे स्थित दो कट्ठा जमीन को लेकर तनातनी की स्थिति थी. जमीन जगदीशपुर धरमू (Jagdishpur Dharmu) गांव के क्षत्रिय समाज के झुनका सिंह (Jhunka Singh) की है. कहा जाता है कि अमर भगत ने झुनका सिंह के पुत्र से उसकी रजिस्ट्री करा ली थी. झुनका सिंह ने इसका विरोध किया था. अमर भगत पर असर नहीं पड़ा. तब वह मामले को राजू कुमार सिंह राजू के समक्ष ले गये.

भूखंड के लिए भिड़ंत
राजू कुमार सिंह राजू ने अमर भगत को जमीन झुनका सिंह को लौटा देने को कहा. लेकिन, वह तैयार नहीं हुए. उसी समय से दोनों की सींगें फंसी हुई थीं. 22 मई 2005 को इस विवादित भूखंड पर दोनों में भिड़ंत भी हुई थी. मामला नक्सली हमले (naxalite attack) का हो गया था. उसके बाद दोनों की राहें जुदा हुईं तो अमर भगत पूर्व जिला पार्षद तुलसी राय (Tulsi Rai) के साथ हो गये. राजू कुमार सिंह राजू और अमरेन्द्र कुमार उर्फ अमर भगत में पहले काफी निकटता थी.

नक्सलियों से था जुड़ाव
अमर भगत का जुड़ाव नक्सली संगठन से था. सारण जिले के मकेर के प्रखंड प्रमुख गुड्डूू शर्मा (Guddu Sharma) का वाहन उड़ाने के मामले में वह आरोपित थे. जमालपुर गांव निवासी गुड्डू शर्मा उस दौर में इस संपूर्ण इलाके में आतंक का पर्याय रहे कुख्यात नीडू शर्मा (Nidu Sharma) के भाई हैं. नीडू शर्मा सेना का भगोड़ा था. ऐसी चर्चा है कि एक बार जान मारने की नीयत से उसने रामविचार राय (Ramvichar Rai) की गाड़ी पर फायरिंग कर दी थी. मकेर प्रखंड पारू के पड़ोस में है. ऐसा कहा जाता है कि उस इलाके में नीडू शर्मा ने नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. गुड्डू शर्मा के वाहन उड़ाने के मामले में अमर भगत दो साल जेल में रहे थे. जानकार बताते हैं कि उनकी जमानत के लिए राजू कुमार सिंह राजू ने ही पहल की थी. आर्थिक मदद भी की थी. यानी उनके ही प्रयास से वह जेल से निकले थे.

जेल से ही जीत गये थे चुनाव
जेल में रहते हुए ही अमर भगत जगदीशपुर धरमू पंचायत का मुखिया निर्वाचित हो गये थे. उस चुनाव में भी राजू कुमार सिंह राजू ने मदद की थी. कुछ लोगों का कहना है कि एक तरह से वही चुनाव लड़े थे. अमर भगत का मुकाबला रामविचार राय तथा तुलसी राय के समर्थक माने जाने वाले पूर्व मुखिया रामेश्वर राय (Rameshwar Rai) से हुआ था. इसके चलते वह तुलसी राय गुट के निशाने पर चढ़ गये थे. जेल से निकलने के कुछ दिनों बाद ही राजू कुमार सिंह राजू से अनबन हो गया और वह रामविचार राय के खेमे से जुड़ गये. वर्तमान में उनकी पत्नी रेखा देवी उस पंचायत की मुखिया हैं.

विधायक बनने का सपना
अमर भगत इलाके में काफी लोकप्रिय थे. गरीबों एवं पिछड़ी जातियों में अच्छी पैठ बन गयी थी. इस क्षेत्र से विधायक बनने का सपना भी बुनने लग गये थे. उनके निकटवर्ती लोगों का यह भी कहना है कि उन दिनों उनका झुकाव जदयू (JDU) की ओर हो गया था. बताया जाता है कि उनकी लोकप्रियता उस विधानसभा क्षेत्र में जड़ जमाये राजनीतिज्ञों की आंखों में शूल की तरह चुभने लगी थी. कथित रूप से साहेबगंज विधानसभा क्षेत्र पर नजर जमाये तुलसी राय को भी. लोग कहते हैं कि रामविचार राय की इस क्षेत्र की विरासत संभालने का मंसूबा उन्होंने ही पाल रखा था.


ये भी पढ़ें:
साहेबगंज-पारू : क्या हुआ था अमर भगत हत्याकांड में!

मांझी प्रकरण : यह अभिमान ही है उनका, और कुछ नहीं…!


मुखबिरी का संदेह
पारू पुलिस (Paru Police) का भी मानना था कि अमरेन्द्र कुमार उर्फ अमर भगत पूर्व में नक्सली संगठन से जुड़े हुए थे. बाद में मोह भंग हो गया. जब वह उस संगठन में थे तब इस क्षेत्र में नक्सलियों के दो गुट सक्रिय थे. एक का नेतृत्व वही करते थे. उससे अलग होने और मुखिया चुने जाने के बाद अमर भगत की पुलिस से निकटता बढ़ी जो नक्सली संगठन को नागवार गुजरने लगी. कहा जाता है कि बाद के दिनों में नक्सलियों की धड़ाधड़ हुई गिरफ्तारी से संगठन के शीर्ष नेतृत्व को अमर भगत पर मुखबिरी का संदेह उत्पन्न हो गया. उसी दौरान जाफरपुर भतौलिया में चार कुख्यात नक्सली पुलिस की गिरफ्त में आये. उसमें अमर भगत की भूमिका संदिग्ध मानी गयी.

गिरफ्तारी हुई और जेल गये
नक्सली संगठन के शीर्ष नेतृत्व की समझ यह भी बन गयी थी कि नक्सलियों में गुटबाजी अमर भगत के चलते ही है. समझा गया कि नक्सलियों में एकजुटता कायम करने के मकसद से उनका खात्मा कर दिया गया. हालांकि, इसकी किसी भी रूप में कोई पुष्टि नहीं हुई. हत्या का आरोप तुलसी राय के माथे चस्पां हुआ. अगस्त 2017 में उनकी गिरफ्तारी हुई और कुछ माह तक जेल में भी रहना पड़ा. फिलहाल वह जमानत पर हैं.उन्होंने ही भाजपा विधायक राजू कुमार सिंह राजू पर अपने अपहरण का मामला दर्ज करा रखा है.

#tapmanlive

अपनी राय दें