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मध्यप्रदेश : ये भी हैं चुनाव के मुद्दे

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तापमान लाइव ब्यूरो
08 नवम्बर 2023

Bhopal : मध्यप्रदेश के चुनाव मैदान में ‘आप’ और बसपा के भी पहलवान हैं. परन्तु, पूर्व की तरह मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में है. 2018 में कांग्रेस की जीत हुई थी. सरकार भी बनी. परन्तु, स्थायित्व नहीं रह पाया. 15 माह बाद ही कांग्रेस विधायक दल में टूट हो गयी. भाजपा की सत्ता में वापसी हो गयी. इस बार के चुनाव में भाजपा को सत्ता विरोधी रुझान का सामना करना पड़ रहा है. कांग्रेस इसे भुनाने की कोशिश कर रही है. शुरुआती दौर में वह आगे दिखती है, पर मध्यप्रदेश में कुछ ऐसे भी मुद्दे हैं, जो नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) भाजपा के लिए तुरुप का इक्का बने रहेंगे. भाजपा (BJP) की कामयाबी उनकी प्रभावकारी भाषण कला, करिश्माई राजनीतिक व्यक्तित्व, स्थायी जनअपील और लोकप्रियता पर निर्भर करेगी.


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कांग्रेस की योजना
कांग्रेस मध्यप्रदेश की सरकार के कथित भ्रष्टाचार (Corruption) को मुख्य चुनावी मुद्दा बनायेगी. उसका कहना है कि जब भाजपा सत्ता में थी तब कर्नाटक में 40 प्रतिशत कमीशन वाली सरकार थी. मध्यप्रदेश में 50 प्रतिशत कटौती वाली सरकार है. कुछ माह पूर्व कांग्रेस (Congress) ने इस आशय के पोस्टर चिपकाये थे. सत्ता विरोधी रुझान की आहट भाजपा भी महसूस कर रही है. इसके बावजूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) पार्टी का चेहरा बने हुए हैं. वैसे, रणनीति में बदलाव करते हुए भाजपा ने तीन केन्द्रीय मंत्रियों और चार सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा है. इसे सत्ता विरोधी रुझान (Opposing Trends) को कुंद करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. चुनाव में जो परिदृश्य उभर रहे हैं उसमें भाजपा की जीत होती भी है, तो शिवराज सिंह चौहान की मुख्यमंत्री पद पर वापसी शायद ही हो पायेगी. भाजपा में ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) भी एक फैक्टर हैं. उनकी संतुष्टि-असंतुष्टि पर भी उसका भविष्य निर्भर करेगा.

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