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विभाग बंटवारा: यह मुद्रा तो ‘दंडवत’ की ही है!

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अजय गुप्ता
05 फरवरी 2024
Patna : नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व में राजग (NDA) की सरकार के नये सोपान में मंत्रिमंडल (cabinet)  के शपथ ग्रहण के छह दिनों बाद शनिवार को विभागों का प्रतीक्षित बंटवारा हुआ. कुल 45 में आधे से थोड़ा अधिक 23 विभाग भाजपा (B J P) को मिले. जदयू (JDU) को 19 और ‘हम’ को दो विभाग दिये गये . बगैर कोई फेरबदल के पूर्व का ही एक विभाग निर्दलीय सुमित कुमार सिंह (Sumit Kumar Singh) के हवाले कर दिया गया. सरसरी तौर पर विभागों की संख्या देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा नीतीश कुमार के सामने झुकी नहीं है, सीना ताने खड़ी है. लेकिन, हकीकत में ऐसा है नहीं. विधायकों की बड़ी संख्या को दृष्टिगत रख नीतीश कुमार ने 2020 की तरह जदयू की तुलना में अधिक विभाग तो उसे दे दिये हैं, पर प्रभुत्व पर अंकुश भी लगा रखे हैं. विभागों के अनुपात में मंत्रियों की संख्या भी अधिक रहेगी. तब भी उसकी लालसा अधूरी ही रह गयी. इससे स्पष्ट है कि इस सरकार में भी औकात उसकी उतनी ही रह जायेगी, जितनी राजग सरकार के पूर्व के सोपान में थी.

ख्वाब खंडित रह गया
महागठबंधन (Mahagathabandhan) से विलगाव को नीतीश कुमार की कमजोरी मान भाजपा ने 2020 की तरह इस बार भी न सिर्फ सामान्य प्रशासन और गृह विभाग के लिए जिद ठान ली थी, बल्कि उसकी रणनीति नीतीश कुमार को ‘मोहरा’ बना शासन खुद चलाने की थी, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की शासन शैली लागू करने की थी. लेकिन, राजनीतिक रूप से चतुर – चालाक नीतीश कुमार ने ऐसा नहीं होने दिया. सामान्य प्रशासन और गृह विभाग फिर से अपने पास रख भाजपा के मंसूबों पर पानी फेर दिया. महत्व तो और विभागों के भी हैं, पर सामान्य प्रशासन एवं गृह विभाग का कुछ अलग ही रुतबा होता है. मुख्य रूप से इन्हीं दो विभागों के जरिये शासन-प्रशासन पर सत्ता की पकड़ रहती है. इस रूप में कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सामान्य प्रशासन विभाग के नियंत्रणाधीन होते हैं. उनका स्थानांतरण एवं पदस्थापन इसी विभाग के जरिये होता है.

नीतीश कुमार के साथ सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा.

कमजोर नहीं हुए हैं
यहां गौर करने वाली बात है कि 18 वर्षों से ये दोनों प्रमुख विभाग नीतीश कुमार के पास ही हैं. महागठबंधन की सरकार में भी उन्होंने इन्हें नहीं छोड़ा. 2015 में भी और 2022 में भी अपने ही पास रखा. जहां तक गृह विभाग की बात है, विधि- व्यवस्था की जिम्मेदारी यही संभालता है. भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी प्रशासनिक दृष्टि से इसी के नियंत्रणाधीन होते हैं. उक्त दोनों विभागों पर काबिज रह नीतीश कुमार ने इस सरकार में भी अपनी श्रेष्ठता साबित कर दी. साथ में इस भ्रम का भी निवारण कर दिया कि नीतीश कुमार को भाजपा की नहीं, भाजपा को नीतीश कुमार की जरूरत है. इससे यह फिर स्थापित हुआ कि राजद और भाजपा की तुलना में विधायकों की संख्या कम रहने के बावजूद सत्ता-राजनीति में नीतीश कुमार कमजोर नहीं हुए हैं. अन्य विभागों की बात करें , तो जल संसाधन, भवन निर्माण, परिवहन, ऊर्जा, ग्रामीण विकास, सूचना एवं जन-संपर्क जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी जदयू ने अपने पास रख लिये हैं, शिक्षा विभाग भी.


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कद थोड़ा ऊंचा हुआ
महागठबंधन की सरकार में शिक्षा विभाग राजद के पास था. नीतीश कुमार की यह चालाकी शिक्षकों की बहाली पर आधारित है. राजद के जिम्मे यह विभाग था तो नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होने पर शिक्षकों की बहाली का मुकम्मल श्रेय उसने ले लिया. नयी बहाली का श्रेय भाजपा न ले ले इससे बचने के लिए उन्होंने इस विभाग को जदयू के कोटे में समेट लिया. हालांकि, वित्त विभाग उन्होंने भाजपा के हिस्से में छोड़ दिया. पूर्व की राजग सरकार में यह विभाग भाजपा के पास ही रहा करता था. अन्य कुछ विभागों के साथ भाजपा मे वित्त विभाग उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी (Deputy Chief Minister Samrat Chaudhary) को मिला है. इससे उनका कद थोड़ा ऊंचा हुआ है. इन सब के बीच कुल मिलाकर भाजपा पूर्व की तरह नीतीश कुमार के समक्ष ‘दंडवत’ की ही मुद्रा में नजर आ रही है. ऐसा संभवतः इसलिए कि भाजपा 2024 के संसदीय चुनाव की बाबत कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है. चार सौ प्लस का लक्ष्य हर हाल में प्राप्त करना चाहती है. आगे- आगे देखिये होता है क्या!

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