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विश्वविद्यालयी शिक्षा : सिर्फ डंडा चलाने से नहीं सुधरेंगे हालात !

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विष्णुकांत मिश्र
29 अगस्त 2023

Patna : शैक्षणिक अराजकता और वित्तीय अनियमितताओं के पर्याय की पहचान बना रखे बिहार (Bihar) के विश्विद्यालयों में सुधार के हर सार्थक प्रयास को सराहनीय कहा जायेगा. शिक्षा विभाग (Education Department) के अपर मुख्य सचिव के के पाठक (K K Pathak) की वर्तमान पहल भी प्रशंसनीय है, पर उनकी कार्यशैली में शामिल कठोरता अपचनीय है. विश्लेषकों को इस‌ पहल में सुधार के प्रयास से कहीं अधिक कठोरता दिखाई पड़ती है. इसका एक बड़ा उदाहरण भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय (Bhimrao Ambedkar Bihar University) , मुजफ्फरपुर  (Muzaffarpur) में हुई कार्रवाई है. स्वतंत्रता दिवस के एक दिन बाद 16 अगस्त 2023 को के.के.पाठक ने इस विश्वविद्यालय के कुलपति सहित तमाम अधिकारियों की बैठक बुलायी थी. बताया जाता है कि निजी कार्य से अवकाश पर रहने की वजह से कुलपति प्रो.शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी उसमें शामिल नहीं हुए.

इतनी सी बात पर…
यह बिल्कुल सामान्य बात थी. लेकिन, के.के.पाठक ने कथित रूप से इसे अपने अहं से जोड़ लिया. विश्वविद्यालय के डीन, कुलसचिव  (Registrar) एवं अन्य अधिकारियों के साथ बैठक नहीं कर अपने अंदाज में उन सब को लौटा दिया. शिक्षा जगत महसूस कर रहा है कि बस इतनी सी बात पर उन्होंने कुलपति से ऐसा खुन्नस पाल लिया कि आनन-फानन में विश्वविद्यालय में ऑडिट टीम भेज दी. इतना ही नहीं, कुलपति और प्रतिकुलपति का वेतन बंद कर दिया. कुलपति के वित्तीय अधिकार के साथ विश्वविद्यालय के बैंक एकांउट (Bank Account) को फ्रिज करने का भी आदेश जारी कर दिया. कहते हैं कि राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर (Rajendra Vishwanath Arlekar) तब पटना से बाहर थे. राजभवन सचिवालय ने विश्वविद्यालय अधिनियम का हवाला दे उक्त कार्रवाई परआपत्ति जतायी और के.के.पाठक को समझाने का प्रयास किया कि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का है.

के के पाठक का शिक्षा सुधार अभियान.

हो गयी किरकिरी
तब के के पाठक ने वीर कुंवर सिंह विश्विद्यालय (Veer Kunwar Singh University), आरा (Ara) में भी आडिट टीम भेज दी. इसके साथ पांच विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति के लिए शिक्षा विभाग की ओर से विज्ञापन (Advertisement) प्रकाशित करा दिया. जबकि राजभवन सचिवालय (Raj Bhavan Secretariat) से इन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति के लिए पहले ही विज्ञापन निकल चुका था. हालात राजभवन और राज्य सरकार के बीच टकराव जैसे हो गये. राजभवन के सूत्रों के मुताबिक अपने सभी कार्यक्रमों को स्थगित कर राज्यपाल पटना लौट आये. फिर राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच वार्ता हुई. के के पाठक को कुलपतियों की नियुक्ति के लिए निकाले गये विज्ञापन को वापस लेना पड़ गया. इससे यह फिर स्थापित हुआ कि शिक्षा विभाग को सीधे तौर पर कुलपति बहाल करने का अधिकार नहीं है.

बदल रही थी स्थिति
बहरहाल, विश्वविद्यालय परिसरों में हो रही चर्चाओं पर भरोसा करें, तो प्रभारी कुलपति प्रो. शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी (Prof. Shailendra Kumar Chaturvedi) के कार्यकाल में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा और भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के शैक्षणिक एवं प्रशासनिक हालात बड़ी तेजी से सुधर रहे हैं. इन दोनों विश्वविद्यालयों के कुलपति के पद का दायित्व अभी प्रो. शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी ही संभाल रहे हैं. सत्र नियमित करने के प्रयास में तो वह लगे हैं ही, लंबित परीक्षाएं भी ली जा रही हैं. जानकारों के मुताबिक दोनों विश्वविद्यालयों में अब तक 52 परीक्षाएं ली जा चुकी हैं. छात्र, शिक्षक और अभिभावक सभी संतुष्ट हैं, ऐसा विश्वविद्यालय के सूत्रों का कहना है.


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आ गया ठहराव
इधर, भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक की ‘अव्यावहारिक सुधार दृष्टि’ पड़ जाने से वहां ठहराव की स्थिति पैदा हो गयी है. ऐसा माना जा रहा है कि अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने इस विश्वविद्यालय के बैंक खातों को‌ फ्रीज कर अवरोध खड़ा कर दिया है. इससे अन्य कार्य तो प्रभावित हुए ही, कर्मचारियों के वेतन भुगतान पर भी असर पड़ा है. परीक्षाओं का संचालन रुक गया है . पीएचडी (PHD) परीक्षा के परिणाम प्रकाशित हो जाने के बाद उसका इंटरव्यू (Interview) नहीं हो पा रहा है. यहां गौर करने वाली बात है कि प्रो. शैलेन्द्र चतुर्वेदी के सकारात्मक प्रयास से इस विश्विद्यालय में चार साल के लम्बे अंतराल पर प्री पीएचडी टेस्ट की परीक्षा आयोजित हुई थी.

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