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अपराध में धंसा पांव, उजड़ गया ठांव!

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प्रवीण कुमार सिन्हा
04 सितम्बर 2023

Samastipur : दुश्मन जनित मजबूरी या फिर खुद को खूंख्वार बनाने की ख्वाहिश में कोई अपराध जगत के अंधकूप में भटकता है, अनैतिकता की राह बढ़ कानून (Law) तोड़ता है तो दुष्परिणाम सिर्फ वही नहीं भुगतता है, उसका पूरा परिवार इसकी चपेट में आ प्रायः बर्बाद हो जाता है. समाज पर भी गहरा असर पड़ता है. अमूमन देखा यह जाता है कि अपराधी पिता के खात्मे के बाद उसके आतंक की विरासत पुत्र संभाल लेता है. कई तो जीवनकाल में ही हमराही हो जाते हैं. मगर ढेर सारे ऐसे भी उदाहरण हैं कि सरगनाओं ने अपने वारिसों को जरायम की दुनिया से दूर रख कानूनपालक नागरिक बनने का ठोस आधार प्रदान किया और कर रहे हैं. यहां तक कि कुख्यात नक्सलियों ने भी ऐसा किया है.

यही होता है अंजाम
बिहार में नब्बे के दशक में आतंक का पर्याय रहे सरगनाओं में अधिकतर के बाल-बच्चे आज सभ्य नागरिक की तरह जी रहे हैं. पर, कभी समस्तीपुर जिले में आतंक पसार रखे वीरेन्द्र झा उर्फ फुन्नू झा (Virendra Jha Urf Funnu Jha) के साथ ऐसा नहीं हुआ. खुद तो काल के गाल में अकाल गये ही, पुत्रों को भी सही राह नहीं बढ़ा पाये. वे सब भी कमोबेश वही करने लगे जो फुन्नू झा करते थे. परिणाम परिवार की बर्बादी के रूप में सामने आया. अनैतिक कारनामों से कुछ खास हासिल तो नहीं ही हुआ, पूरा परिवार अपराध की भेंट चढ़ गया. हालांकि, इसमें फुन्नू झा की कम, उनकी विधवा रानी झा (Rani Jha) का दोष कुछ अधिक माना जाता है. उनका खुद का तर्क जो हो, वह परिवार को बर्बाद होने से बचा नहीं पायीं. हालांकि, यह कोई अचरज की बात नहीं है, अपराध के दलदल में धंस गये पांव का अंजाम यही होता है.

नेहरू नगर में ठिकाना
फुन्नू झा की हत्या के बाद विरासत को लेकर परिवार में उठे विवाद को अपने प्रतिकूल मान उनकी पत्नी रानी झा, पुत्र अभिजीत झा उर्फ सोनू (Abhijeet Jha Urf Sonu) और सुमित झा उर्फ गोविंद (Sumit Jha Urf Govind) पटना में पहचान छिपाकर रहने लगे थे. पहचान छिपाने की वजह दुश्मनों से बचाव तो था ही, एक बड़ा कारण यह भी था कि वे लोग कई मामलों में अभियुक्त रहे हैं. लम्बे समय से समस्तीपुर पुलिस को उनकी तलाश थी. पटना में उनलोगों ने पहले नेहरू नगर (Nehru Nagar) में अपना ठिकाना बनाया. जैसे भी हो, समस्तीपुर पुलिस को भनक लग गयी और एक दिन वहां पहुंच भी गयी. उस वक्त दोनों भाई घर में नहीं थे, पुलिस की गिरफ्त में आने से बच गये. इस दबिश के बाद उनका अड्डा बदल गया.

पत्नी रानी झा और पुत्र के साथ फुन्नू झा. (फाइल फोटो)

खोल ली दुकान
पटेलनगर (Patelnagar) के रोड संख्या 10 स्थित हरि अपार्टमेंट (Hari Apartment) में आशियाना तलाश लिया और शास्त्रीनगर (Shastri Nagar) थाना क्षेत्र के राजा बाजार (Raja Bazar) में पाया संख्या 68 के सामने ब्रह्मस्थानी गली में देव डिपार्टमेंटल स्टोर (Dev Departmental Store) के नाम से दुकान खोल ली. उस दुकान में बारी-बारी से दोनों भाई बैठा करते थे. कभी-कभी उनकी मां रानी झा भी बैठती थीं. दुकान जून 2016 में खुली. पुलिस भले पता नहीं लगा पायी, पर दुश्मनों से उनका नया ठिकाना और दुकान छिपी नहीं रह पायी. 24 मार्च 2017 की रात आठ बजे के आसपास 25 वर्षीय सुमित झा उर्फ गोविंद को दुकान में ही गोलियों से बींध दिया गया. मामले में उजियारपुर (Ujiarpur) थाना क्षेत्र की माधोडीह करिहारा (Madhodih Karihara) पंचायत के मुखिया मनोरंजन गिरि, सुमित झा उर्फ गोविंद के सगे चाचा शिवेन्द्र झा उर्फ टुन्ना झा, राजन झा, राकेश झा, रंजीत कुमार उर्फ डब्ल्यू झा और दिनेश कुमार चौधरी उर्फ पप्पू चौधरी को नामजद किया गया.

आरोप-प्रत्यारोप
रानी झा का कहना रहा कि विरासत के विवाद में टुन्ना झा (Tunna Jha) ने उनके दुश्मन मुखिया मनोरंजन गिरि (Manoranjan Giri) से मिलकर सुमित झा उर्फ गोविंद की हत्या करा दी. पर, टुन्ना झा ने इस आरोप को बकवास बताया. हत्या में अपनी संलिप्तता से साफ इनकार किया. भावनात्मक बातें की. उन्हें अपना कोई पुत्र नहीं है. भतीजों को ही पुत्र मानते हैं. ऐसे में भला उसे क्यों मरवा देंगे. फुन्नू झा के तीन पुत्र थे. मंझला पुत्र कुणाल झा की पटना के आयकर गोलम्बर के समीप सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गयी. यह हादसा फुन्नू झा की हत्या से कुछ माह पूर्व हुआ था. पुत्र शोक में वह अंदर से हिल गये थे. इससे पहले धीरेन्द्र झा उर्फ धीरू झा (Dhirendra Jha Urf Dhiru Jha) के दो पुत्रों में से एक चंदन कुमार की मौत भी सड़क दुर्घटना में हो गयी. बड़ा पुत्र राहुल कुमार इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर केरल में कहीं कार्यरत हैं. धीरू झा की एक और टुन्ना झा की दो पुत्रियां ससुराल में बसी हैं.


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विरासत पर विवाद
फुन्नू झा की विरासत के विवाद को लेकर दो तरह की बातें कही गयीं. एक तबके का कहना रहा कि फुन्नू झा की हत्या के बाद उनकी विरासत मंझले भाई शिवेन्द्र झा उर्फ टुन्ना झा (Shivendra Jha Urf Tunna Jha) ने संभाली थी. फुन्नू झा के पुत्र अभिजीत झा उर्फ सोनू और सुमित झा उर्फ गोविन्द के साथ मिलकर सभी तरह के कारोबार को विस्तार दे रहे थे. फुन्नू झा का मुख्य धंधा शराब का कारोबार और ठीका-पट्टा था. इसी के चक्कर में उनकी हत्या भी हुई. कुछ ही दिनों बाद टुन्ना झा और फुन्नू झा की पत्नी रानी झा एवं पुत्रों के बीच लेन-देन को लेकर विवाद खड़ा हो गया और वे सब एक दूसरे के जानी दुश्मन बन गये. इसमें सच्चाई कितनी है यह नहीं कहा जा सकता, पर चर्चा है कि फुन्नू झा जब आतंक आधारित कारोबार संभाल रहे थे तब टुन्ना झा ने उनसे कर्ज के रूप में 10 लाख रुपये लिये थे. पारिवारिक संबंध खराब होने के बाद अभिजीत झा और सुमित झा उनसे वे रुपये मांगने लगे.

इस बात पर ठन गयी रार
कहा जाता है कि हत्या से लगभग 10 दिन पूर्व सुमित झा सलेमपुर गांव गया था. उक्त रुपये को लेकर टुन्ना झा से उसकी कहा-सुनी हो गयी और कथित रूप से उसने उन्हें जान से मार देने की धमकी दी थी. दूसरी चर्चा यह है कि फुन्नू झा की हत्या के बाद हथियारों और पैसों पर उनके पुत्रों ने कब्जा जमा लिया था. इसी को लेकर टुन्ना झा से रार ठन गयी थी. शिवेन्द्र झा उर्फ टुन्ना झा के मुताबिक इन तमाम बातों में कोई दम नहीं है. इस तरह की न कोई तकरार थी और न है, पैतृक संपत्ति के बंटवारे का विवाद है. फुन्नू झा की विधवा और पुत्रों की हठधर्मिता के कारण उसका समाधान नहीं हो पा रहा है. टुन्ना झा का कहना रहा कि फुन्नू झा की पत्नी रानी झा की ‘कारगुजारियों’ से परिवार को साढ़े 5 करोड़ का नुकसान हुआ. उनके मुताबिक मुसरीघरारी में जमीन खरीद हुई, दोमंजिला मकान बना. फुन्नु झा के जीवित रहते तकरीबन दो करोड़ की उस संपत्ति को रानी झा ने महज 85 लाख में बेच दिया. गांव की चार कट्ठा जमीन भी बेच दी. खेती पर कब्जा कर बंटवारे का विवाद खड़ा कर दिया.

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