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कहानी कुर्मिस्तान की : बन न जाये काल उपजातियों का जंजाल

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अरुण कुमार मयंक
27 दिसम्बर 2023

Biharsharif : ऊपर से यह ‘कुर्मिस्तान’ बहुत ही शांत एवं एकसूत्र में बंधा नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व के प्रति समर्पित दिखता है, पर अंदरूनी तौर पर वैसा है नहीं. आजादी के पूर्व से ही यहां उपजातियों का जो वितंडा खड़ा है, उसमें कोई खास बदलाव नहीं आया है. यहां कुर्मी समाज में कई उपजातियां हैं-अवधिया, कोचैसा, घमैला, अयोध्या, समसंवार आदि. इनकी उत्पत्ति के तत्व एवं सामाजिक संस्कार (Social Culture) अलग-अलग हैं. ऐसा माना जाता है कि अवधिया कुर्मी अवध से आये हैं, कोचैसा कोल्हापुर एवं सिंधुदुर्ग से, घमैला नागपुर से तो अयोध्या (Ayodhya) अयोध्या से. वैसे ही अन्य उपजातियों के मूल के अलग-अलग तथ्य हैं. समाज के लोग ही बताते हैं कि अवधिया कुर्मी धानुक को कुर्मी नहीं मानते. अपने आप को क्षत्रिय के समान देखते-समझते हैं.

कम संख्या है अवधिया की
वैसे, सिर्फ अवधिया ही नहीं, हर उपजाति खुद को श्रेष्ठ मानती है. बात यहीं तक नहीं है. इन उपजातियों में भी उपजातियां हैं. मसलन, अवधिया में कटुआ, कोचैसा में कृष्णपक्षी, घमैला में बरगइयां एवं फसफसिया तथा समसंवार में किशुनपक्षी प्रमुख हैं. कुर्मी समाज के मतदाताओं की संख्या सात लाख के करीब है. जहां तक इस समाज की उपजातियों के मतदाताओं की संख्या की बात है, तो नालंदा लोकसभा क्षेत्र के नये परिसीमन के बाद विभिन्न अनुमानों के आधार पर कोचैसा की संख्या जिले में सबसे अधिक है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अवधिया हैं. इस उपजाति के कुर्मियों की अनुमानित संख्या 25 हजार है. पूर्व सांसद आरसीपी सिंह (RCP Singh) की समसंवार उपजाति के लोगों की संख्या 30 हजार ही है. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार (Shravan Kumar) कोचैसा कृष्णपक्षी हैं. इसकी संख्या भी 25 हजार के आसपास रहने की बात कही जाती है. 03 लाख 25 हजार कोचैसा कुर्मी हैं. विधायक हरिनारायण सिंह इसी उपजाति से हैं.

आंकड़े आधिकारिक नहीं
सांसद कौशलेन्द्र कुमार (Kaushalendra Kumar) घमैला उपजाति से हैं. इसकी संख्या 02 लाख 60 हजार बतायी जाती है. 25 हजार बरगइयां और 05 हजार अयोध्या हैं. 65 हजार की संख्या में धानुक समाज के लोग हैं. सात लाख में यह संख्या शामिल नहीं है. यहां गौर करने वाली बात है कि उक्त तमाम आंकड़े आधिकारिक नहीं, अनुमान पर आधारित हैं. तब भी उपजातियों के इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि नालंदा (Nalanda) में कोचैसा कुर्मी की आबादी सबसे ज्यादा है. परन्तु, इसे इसका दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि आजादी के बाद से आज तक इस उपजाति का कोई भी नेता नालंदा का सांसद नहीं बन पाया है. इस मुद्दे को उठाने वालों के मुताबिक सांसद बनने की बात छोड़िये, लोकसभा के चुनावों में किसी भी राष्ट्रीय पार्टी ने इसे अपनी उम्मीदवारी तक नहीं दी है.


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कोचैसा बिरादरी से कोई नहीं
आजादी के बाद से अब तक इस क्षेत्र से कुर्मी समाज के कैलाशपति सिंह, प्रो.सिद्धेश्वर प्रसाद, वीरेन्द्र प्रसाद, रामस्वरूप प्रसाद, नीतीश कुमार एवं कौशलेन्द्र कुमार सांसद निर्वाचित हुए हैं. इनमें कोचैसा बिरादरी से कोई नहीं हैं. 2014 में इस उपजाति से पहली बार ईं. प्रणव प्रकाश (Pranav Prakash) को आम आदमी पार्टी (आप) की उम्मीदवारी मिली थी. ‘आप’ को उस वक्त राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त नहीं था. दिल्ली की क्षेत्रीय पार्टी की पहचान रखती थी. ईं. प्रणव प्रकाश की शिक्षित और साफ-सुथरी छवि लोगों को बहुत भा रही थी. किसी नेता का आमलोगों से बड़ी सरलता-सहजता से मिलना-जुलना नालंदा के लिए बिल्कुल नया अनुभव था. बहुत कम समय में ही बड़ी संख्या में कोचैसा कुर्मी उनके साथ हो गये.

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