पूर्णिया संसदीय क्षेत्र : दिखेगी धमक नये चहरे की!
अशोक कुमार
12 जनवरी 2024
Purnia : उपमहापौर पल्लवी गुप्ता (Pallavi Gupta) की भाजपा में दावेदारी को इस कारण भी मजबूती मिलती है कि वह और उनके पति समाजसेवी अरविन्द कुमार उर्फ भोला साह आते हैं, उसकी पहचान पूर्णिया में धर्मनिरपेक्षता के पक्षधर परिवार की है. प्रायः हर वर्ग में इस परिवार को जानने-पहचानने वाले लोग हैं. व्यवहार कुशलता भी इस परिवार की पुराने पूर्णिया जिला के जमाने से विशिष्ट पहचान रही है. इस आधार पर भी इन्हें भरोसा है कि जिस तरह अपने पहले चुनाव में ही पल्लवी गुप्ता ने पूर्णिया नगर निगम के उपमहापौर पद के चुनाव में आसान जीत हासिल कर ली, भाजपा की उम्मीदवारी मिलने पर संसदीय चुनाव (Parliamentary Elections) में भी बाजी मार लेंगी.
समर्पित व जुझारू नेता
पल्लवी गुप्ता की खुद की छवि भाजपा (BJP) के प्रति समर्पित व जुझारू महिला नेता की है. संसदीय चुनाव में भाजपा की उम्मीदवारी (Candidacy) मिलने की चर्चाओं के बीच उनके व्यवसायी ससुर विश्वनाथ साह की अनुकरणीय समाज सेवा का बखान खुद-ब-खुद होने लगा है. ददिया ससुर स्वर्गीय रघुनाथ साह के अवदान का भी. पल्ल्वी गुप्ता के पति अरविन्द कुमार उर्फ भोला साह की प्रभावकारी नेतृत्व क्षमता और पिता एवं दादा की तरह समाज सेवा में अग्रणी भूमिका की भी. ऐसा कहा जाता है कि पल्लवी गुप्ता की काबिलियत की जानकारी भाजपा के रणनीतिकारों तक पहुंच गयी है.
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कोर कमेटी का सदस्य
पार्टी नेतृत्व ने फिलहाल उन्हें पूर्णिया संसदीय क्षेत्र के लिए गठित भाजपा की कोर कमेटी का सदस्य बना दिया है. इससे भी उनकी उम्मीदवारी की संभावना को बल मिला है. पल्लवी गुप्ता के ददिया ससुर रघुनाथ साह ने अंग्रेजी दासता के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम (Freedom Struggle) में सहभागिता निभायी थी, यातनाएं झेली थी. जनसंघ के समय से ही उनका जुड़ाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से था. संघ प्रमुखों का उनके यहां आना-जाना भी होता था. स्थानीय लोगों की मानें, तो पूर्णिया क्षेत्र में भाजपा की नींव डालने में इस परिवार का भी बड़ा योगदान रहा है. स्वर्गीय रघुनाथ साह ने प्रदेश भाजपा के ‘भीष्म पितामह’ रहे स्वर्गीय कैलाशपति मिश्र के साथ मिलकर 1956 में पूर्णिया में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शाखा संचालित करवायी थी.
लक्ष्य अब संसदीय चुनाव
कैलाशपति मिश्र (Kailashpati Mishra) की प्रेरणा से ही विश्वनाथ साह 1978 में वार्ड पार्षद बने थे. तब से लगातार निर्वाचित होते रहे. बताया जाता है कि वह पूर्णिया से विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे. भविष्य में अवसर उपलब्ध कराने का आश्वासन दे कैलाशपति मिश्र ने रोक दिया था. वह अवसर कभी नहीं आया. राजकिशोर केसरी जो विधायक बने सो लंबे समय तक जमे रह गये. हालांकि, विश्वनाथ साह (Vishwanath sah) को इसका कभी कोई मलाल नहीं हुआ. इसी सभ्य और संस्कारित पारिवारिक परिवेश से सुवासित पल्लवी गुप्ता ने सार्वजनिक (Public) और राजनीतिक (Political) क्षेत्र में कदम बढ़ाया है. प्रथम प्रयास में उन्होंने पूर्णिया नगर निगम के उपमहापौर के पद के चुनाव में किला फतह किया. लक्ष्य अब संसदीय चुनाव में विजय हासिल करना है.
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